नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश में लोगों को कोरोना वायरस महामारी को सांप्रदायिक रंग देने के प्रति आगाह किया है.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का आचरण घातक हो सकता है और विभिन्न समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलना मुश्किल हो सकता है.
देश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण से 19,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं जबकि 600 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित शिकागो विश्वविद्यालय की हार्पर व्याख्यानमाला में राजन ने कहा, ‘हम भारत में यह आरोप देख रहे हैं कि यह मुस्लिमों की साजिश हैं… इस तरह का व्यवहार किसी भी दिन फट सकता है, जिससे देश में समुदायों के बीच सामंजस्य रखना और मुश्किल हो सकता है.’
सितंबर 2016 में आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा देने वाले रघुराम राजन ने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावनाएं वायरस आने से पहले ही मजबूत थी, लेकिन अब कोरोना संक्रमण के बीच यह और मुखर हो रही हैं.
हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने राजन सहित 11 लोगों को अपने एक्सटर्नल एडवायजरी समूह में शामिल किया गया है.
यह समूह कोरोना की महामारी से निपटने में दुनियाभर में चल रही कोशिश और नीतिगत मसलों के बारे में आईएमएफ को बताएगा.
फिलहाल शिकागो विश्वविद्यालय में प्रफेसर राजन ने कहा कि दुनिया का कोई भी हिस्सा कोरोना वायरस के संक्रमण से नहीं बचा है.
उन्होंने कहा, ‘दुनिया का हर हिस्सा इससे प्रभावित है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.’
राजन ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बावजूद वैश्विक आथिक वृद्धि में गिरावट ही होगी. उन्होंने कहा वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार एक साल बाद ही आने की संभावना है.