चेन्नई, 22 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील ने गुरुवार को कहा कि न्यायालय ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाजी मामले में इंडिया सीमेंट्स के कारोबारी आवरण की परवाह न कर इसके प्रबंध निदेशक एन. श्रीनिवासन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर सही किया।
उन्होंने यह भी कहा कि बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को अब अपनी हिस्सेदारियां घोषित कर देनी चाहिए। साथ ही उन्हें आईपीएल से जुड़े बीसीसीआई की निर्णय प्रक्रियाएं से भी दूरी बना लेनी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के कंपनी, बीमा एवं प्रतिस्पर्धा कानून के विशेषज्ञ वकील डी. वरदराजन ने फोन पर आईएएनएस को कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का फैसला यह याद दिलाने वाला था कि कोई व्यापारिक आवरण में छिपकर बच नहीं सकता और न्यायालय कभी भी जरूरत पड़ने पर यह आवरण हटा सकता है।”
उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने इस मामले में अहम फैसला देते हुए गुरुवार को श्रीनिवासन को हितों के टकराव के कारण बीसीसीआई अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि श्रीनिवासन का बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने को स्वत: किनारा कर लेने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
वरदराजन के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला श्रीनिवासन की कई भूमिकाओं की वैधता को लेकर व्याप्त शंका समाप्त हो गई।
वरदराजन ने कहा, “इस फैसले को क्रिकेट के प्रति लोगों की अपार चाहत और बीसीसीआई की संदेहास्पद गतिविधियों की पृष्ठभूमि में समझने की जरूरत है। बीसीसीआई की छवि सार्वजनिक तौर पर पिछले कुछ दिनों में कई बार धूमिल हुई है।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।