नई दिल्ली, 17 मार्च – नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी महिलाएं मंगलवार को दरी के बजाय लकड़ी के तख्तों से बने चौकीनुमा बेड पर बैठी नजर आईं। पुलिस के साथ वार्ता विफल रहने के बाद महिलाओं ने दिनभर ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘हमें चाहिए आजादी’, ‘सीएए से आजादी, एनआरसी से आजादी’ के नारे लगाए। प्रदर्शन में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में पुरुष भी मौजूद रहे। जमकर नारेबाजी हुई। इस दौरान महिलाओं के एक बड़े गुट ने प्रदर्शन स्थल से हटकर पुलिस से वार्ता किए जाने का विरोध किया।
शाहीनबाग में लगभग तीन महीने चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाएं अभी तक यहां सड़क पर दरी बिछाकर बैठती थीं, लेकिन अब महिला प्रदर्शनकारियों के बैठने के लिए यहां लकड़ी के तख्तों से बने करीब 60 से ज्यादा चौकीनुमा बेड लगाए गए हैं। प्रत्येक बेड पर 7-8 महिलाएं बैठी नजर आईं।
बेड के बारे में पूछे जाने पर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा, “हमारी सुविधा के लिए अब बेड-बिस्तर लगाए गए हैं।”
दिल्ली का यह पहला विरोध प्रदर्शन है, जहां प्रदर्शनकारियों के बैठने के लिए 60 बेड लगाए गए हैं। सड़क के बीचो-बीच रखे तख्तों के इन बेड के बारे में पूछे जाने पर इस प्रदर्शन में शामिल परवेज ने बताया कि ये बेड चंदे के पैसों से बनवाए गए हैं। इनमें से कुछ बेड तो स्थानीय लोगों के हैं, जो यहां दे गए हैं।
प्रदर्शनकारी महिलाओं को खाना बांट रहे फारुख ने कहा, “ज्यादातर महिलाएं दिनभर के प्रदर्शन के बाद रात को भी यहीं सड़क पर ही सो जाती हैं। इन महिलाओं की सुरक्षा व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां ये बेड लगाए गए हैं। हमलोग इनके सोने के लिए बिस्तर का भी इंतजाम कर रहे हैं।”
दिल्ली पुलिस और शाहीनबाग की महिला प्रदर्शनकारियों के बीच मंगलवार को एक बार फिर वार्ता हुई। पुलिस अधिकारियों ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर धरना दे रहीं महिलाओं से मुख्य सड़क मार्ग को खाली करने की अपील की।
पुलिस और प्रदर्शनकारी महिलाओं के बीच वार्ता के लिए एक अलग स्थान का चयन किया गया। धरना स्थल से करीब 100 मीटर दूर स्थित चौराहे पर पुलिस और महिला प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत हुई। पुलिस की ओर से स्थानीय एसएचओ और एसीपी जगदीश यादव मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों की ओर से करीब 20 महिलाएं वार्ता में शामिल हुईं। वही प्रदर्शन स्थल पर बैठीं अधिकांश महिलाओं ने इस वार्ता में जाने से इनकार कर दिया प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि यदि पुलिस कोई बात करना चाहती है तो उन्हें यहां प्रदर्शन स्थल पर आना चाहिए।
प्रदर्शनकारी महिलाओं और पुलिस के साथ वार्ता फिर विफल हो गई। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को समझाने की कोशिश की कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए वे एक जगह सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा न रहें, लेकिन महिलाओं ने कहा, “हमें कोरोना से ज्यादा खतरा सीएए, एनआरसी से है। ये कानून हमारे लिए ही नहीं, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए भी खतरनाक हैं।”