रंगो के त्यौहार की तैयारियां तो आप सब कर रहे होंगे। बाजार में महंगे- सस्ते कई प्रकार के रंग भी मिल रहे हैं, लेकिन आप रंग खरीदने से पहले अपनी त्वचा का ध्यान जरूर रखें। ऐसा न हो कि मौज-मस्ती के इस त्यौहार में घटिया क्वालिटी का रंग खरीदना आपको महंगा पड़ जाए। इसलिए हम बता रहे हैं कि रंग खरीदने से पहले किस नंबर का जरूर ध्यान रखें। जब तक यह नंबर पैकेट पर न दिखे पैकेट को हाथ भी न लगाएं। ऑर्गेनिक कलर्स बनाने वाले निर्माता रंगों को लेकर किए गए टेस्ट की लैब टेस्ट सर्टिफिकेट नंबर को पैकजिंग पर मेंशन करते हैं। आप चाहें तो शॉप पर कर्मचारी से इस नंबर के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
उसकी पैकजिंग को अच्छे से जरूर चेक करते हुए रंग को बनाने में उपयोग हुई सामग्रियों को पढ़ें। इसमें आपको प्राकृतिक चीज जैसे गुलाब, हल्दी आदि लिखे दिखाई दें, तो कलर लिया जा सकता है।
आमतौर पर केमिकल वाले रंगों में स्पार्कल होता है, जिसकी वजह से केमिकल वाले रंग चटकीले लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप रंगों को हाथ में लेकर देखें कि उसमें स्पार्कल तो नहीं है। नेचुरल कलर हल्के होते हैं। डिब्बा बंद कलर्स के भी टेस्टर दुकान में अवेलेबल होते हैं। इन बॉक्स में मौजूद कलर्स को देखें और अंतर पहचानें। स्किन पैच टेस्ट करना बेहद जरूरी है। इससे आपको पता चल जाएगा कि किसी कलर का आपकी स्किन पर बुरा असर या इससे आपको कोई स्किन एलर्जी तो नहीं हो रही है।
आपको देखना चाहिए कि पैकेट पर किसी कलर की शेल्फ लाइफ या बेस्ट बिफोर डेट क्या लिखी हुई है। आमतौर पर नेचुरल कलर्स में प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसकी शेल्फ लाइफ 6-7 महीने ही होती है जबकि केमिकल वाले रंगों की शेल्फ लाइफ 2-3 साल तक होती है।