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 कुक्के सुब्रमण्या मंदिर(Kukke Subrahmanya Temple, Karnataka ), कर्नाटक जहाँ होती है कालसर्प योग निवारण हेतु पूजा | dharmpath.com

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कुक्के सुब्रमण्या मंदिर(Kukke Subrahmanya Temple, Karnataka ), कर्नाटक जहाँ होती है कालसर्प योग निवारण हेतु पूजा

March 3, 2020 9:58 pm by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on कुक्के सुब्रमण्या मंदिर(Kukke Subrahmanya Temple, Karnataka ), कर्नाटक जहाँ होती है कालसर्प योग निवारण हेतु पूजा A+ / A-

कर्नाटक – वैदिक परंपरा के इस भारतीय पुरातन देवस्थल का अपना विशेष महत्व है भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में से एक कुक्के सुब्रमण्या मंदिर, कर्नाटक राज्य के दक्षिणा कन्नड़ जिले मैंगलोर के पास के सुल्लिया तालुक के सुब्रमण्या के एक छोटे से गांव में स्थित है | यहां भगवान सुब्रमण्या को पूजा जाता है, भगवान् शिव के पुत्र भगवान् कार्तिकेय को कई नामो से जाना जाता है जैसे स्कन्द, कुमार, सुब्रमण्य, मुरुगन आदि। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष विद्यमान होता है उनको भगवान् कार्तिकेय के कर्नाटक स्थित इनके कुक्के सुब्रमण्या मंदिर जरूर जाना चाहिए। जो सभी नागों के स्वामी माने गए हैं | इस मंदिर के दर्शनों के लिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता है सभी लोग यहां होने वाली पूजा में शामिल होने की चाह रखते हुए श्रद्धा भाव से इस पवित्र स्थान पर पहुंचते है .

इस मंदिर परिसर में रजस्वला स्त्रियों एवं 6 माह या उससे अधिक समय का गर्भधारण की हुई स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है।

कुक्के सुब्रमण्या जी (Kukke Subramanya Temple Yatra) के विषय मे उल्लेख मिलते हैं काव्यों में यह संदर्भ आता है कि गरूड़ द्वारा डरने पर परमात्मा सर्प वासुकी और अन्य सर्प भगवान सुब्रमण्य के तहत सुरक्षा महसूस करते हैं| ऐसी अनेक कथाएं एवं मान्यताएं यहां मौजूद हैं जो भक्तों की अगाध श्रद्धा भक्ति को दर्शाती हैं भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण होता पाते हैं इस स्थान का आलौकिक दिव्य तेज सभी के भीतर भक्ति का संचार करता है |

अन्य सभी मंदिरों के अनुसार इस मंदिर की अपनी पौराणिक कथा है | पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस शासक थारका, शूरपदमसुर एवं इनके अनुयायियों का वध करने के उपरांत भगवान शनमुख अपने भाई गणेश एवं अपने प्रिय जानो के साथ कुमारा पर्वत पहुचे जहाँ इनका स्वागत भगवान इंद्र एवं इनके अनुयायियों के द्वारा किया गया | इनके यहाँ पहुचने पर इंद्र काफी प्रसन्न हुए एवं अपने बेटी से साईं करने के लिए कुमारा स्वामी से आग्रह करने लगे |

इनके इस प्रस्ताव को मान कर इनकी शादी कुमारा पर्वत पर हुई जिसमे भगवान ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र के साथ कई अन्य देवगण उपस्थित हुए | इस अवसर पर कुमारा स्वामी का राज्याभिषेक भी किया गया जिसके लिए कई पवित्र नदियों से जल इकठा किया गया था | सभी पवित्र नदियों के जल से महाभिषेक के क्रम जल के बहाव से नदी का निर्माण हुआ जिसे कुमारधारा नाम दिया गया | महान शिव भक्त एवं नागराज वासुकी गरुढ़ के हमले से बचने के लिए बिलादवारा गुफा में लम्बे समय से तपस्या कर रहे थे, भगवान शिव के आश्वासन के बाद, शंकुमा ने वासुकी को दर्शन दिया और उन्हें यह आशीर्वाद दिया कि वे इस स्थान पर अपने भक्त के साथ हमेशा के लिए निवास करेंगे |

मंदिर में भगवान के पवित्र दर्शन के पहले यात्रियों को कुमारधारा नदी पार कर और उसमें एक पवित्र स्नान करना पड़ता है | मंदिर में भक्त पीछे के द्वार से प्रवेश करते हैं और मूर्ति के सामने जाने से पहले उसकी प्रदक्षिणा करते हैं| गर्भगृह और बरामदा प्रवेश द्वार के मध्य में गरूड़ स्तंभ है मौजूद होता है | माना जाता है कि इस स्तम्भ में वासुकी जी निवास करते हैं| इस स्तंभ को चांदी से ढका हुआ है| माना जाता है कि इस स्तंभ में निवास करने वाले वासुकी जी की सांसों उत्पन्न जहर के अग्नि प्रवाह से भक्तों को बचाने के लिए ही इसे चाँदी एवं आभूषणों से मढ़ा गया है|

श्रद्धालु लोग स्तंभ के चारों ओर खड़े होकर पूजा करते हैं| इस स्तंभ के आगे एक बडा़ सा भवन आता है जो बाहरी भवन होता है और फिर एक अन्य भवन पश्चात भगवान श्री सुब्रमण्यम जी का गर्भगृह है| गर्भगृह के केंद्र में एक आसन स्थित है उस मंच पर श्री सुब्रमण्या की मूर्ति स्थापित है और फिर वासुकी की मूर्ति और कुछ ही नीचे शेषा की मूर्ति भी विराजमान हैं यहीं नित्य रुप से देव पूजा कि जाती है| जिसमें शामिल होने के लिए देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं|

यहाँ पर काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए एक विशेष पूजा की जाती है जिसे सर्प सम्सकारा/सर्पा दोषा पूजा के नाम से जाना जाता है | मान्यता अनुसार यदि कोई व्यक्ति सर्प दोष से पीडि़त हो या श्रापित हो तो इस दोषों से मुक्ति के लिए यहां पर कराई गई पूजा से उसे सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है | कर्नाटक और केरल में नाग देवता में पूर्ण आस्था होने के कारण इस पूजा का बहुत महत्व होता है |

यहां कैसे पहुंचें ? नजदीकी एयरपोर्ट मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा Mangalore International Airport है ,यहाँ से मंदिर 112 km की दूरी पर है ,बस/टैक्सी और रेल की सुविधा यहाँ से मंदिर तक पहुँचने के लिए उपलब्ध है। ट्रेन से नजदीकी रेलवे स्टेशन सुब्रमण्या रोड रेलवे स्टेशन है जहाँ से मंदिर की दूरी बारह किलोमीटर है “Subrahmanya Road” (Stop ID: SBHR) .सड़क मार्ग से बैंगलोर ,मैसूर ,मैंगलोर से Bangalore, Mysore, Mangalore मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

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