अयोध्या – इस नवरात्रि के दौरान यानी 25 मार्च से दो अप्रैल के बीच रामलला को मूल स्थान से करीब 150 मीटर दूर मानस मंदिर में लेकर जाया जाएगा, जहां अस्थायी तौर पर मंदिर बनाया जाएगा और जब तक रामलला का मंदिर बनकर तैयार नहीं होता, तब तक उनकी पूजा-अर्चना वहीं पर होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन होने के बाद अब राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की तिथि जल्द घोषित होने वाली है। इससे पहले रामलला को उनके स्थान से दूसरी जगह लेकर जाने की प्रक्रिया पर काम किया जाएगा, ताकि मंदिर निर्माण के दौरान रामलला की पूजा-अर्चना निर्बाध रूप से चलती रहे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य महंत दिनेंद्र दास के अनुसार, अगले महीने होने वाली राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में मूर्तियों को शिफ्ट करने की तारीखों को अंतिम रूप दिया जाएगा। मूर्तियों को पास के मानस भवन में एक विशेष बुलेट प्रूफ संरचना के साथ स्थानांतरित करने की संभावना है।
रामलला की मूर्तियों को यहां सबसे पहले 22-23 दिसंबर, 1949 की मध्यरात्रि के दौरान रखा गया था। 43 साल बाद, विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद मूर्तियों को हटा दिया गया था।
ढांचा गिराए जाने के बाद रामलला 28 वर्ष से टेंट में विराजमान हैं। अब उनका वैकल्पिक गर्भगृह फाइबर का होगा। यहां पर लकड़ी के मौजूदा सिंहासन के विपरीत वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला संगमरमर के सिंहासन पर विराजमान होंगे।
सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा कारणों से मंदिर स्थल के चारों ओर 12 फीट ऊंची चारदीवारी का निर्माण किया जाएगा और पास के दो मंजिला घरों से निर्माण के दृश्य को बाधित करने के लिए व्यू-कटर स्थापित किए जाएंगे।