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 शॉल बेचने वाले बोले, सब उनसे पूछते हैं कश्मीर का हाल | dharmpath.com

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शॉल बेचने वाले बोले, सब उनसे पूछते हैं कश्मीर का हाल

February 14, 2020 1:28 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on शॉल बेचने वाले बोले, सब उनसे पूछते हैं कश्मीर का हाल A+ / A-

सर्दी के मौसम में हर साल कश्मीरी शॉल विक्रेता दिल्ली की गलियों में घूमकर अपने उत्पाद बेचते हैं. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आम लोग उनसे कश्मीर के हालात के बारे में पूछने लगे हैं.

कश्मीर के पहलगाम के रहने वाले सब्जार पिछले 10 सालों से हर साल दिल्ली में सर्दी के मौसम में शॉल, स्टोल और सूखे मेवे बेचने आते रहे हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वह इस बार पहली बार दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में घूम-घूमकर शॉल और गर्म कपड़े बेच रहे हैं. सब्जार कहते हैं कि इस बार जब वह अपना माल बेचने निकले तो ग्राहकों के अलावा आम लोगों ने भी उनसे कश्मीर के ताजा हालात के बारे में जानना चाहा.

इस अनुभव के बारे में बताते हुए सब्जार कहते हैं, “ग्राहकों के अलावा आम लोगों ने भी हमसे जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बारे में प्रतिक्रिया जाननी चाही. हमने लोगों से यही कहा कि विशेष राज्य का दर्जा हटाने से हमें भविष्य में दिक्कतें आ सकती हैं. आज हमें नहीं तो भविष्य में हमारे बच्चों को दिक्कतें पेश आ सकती हैं. कश्मीर के हालात को देखते हुए उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था लेकिन अब उसे हटा लिया गया है.”कश्मीर के छोटे कारोबारी देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर कश्मीर में बनी पश्मीना शॉल, गर्म कपड़े, केसर और सूखे मेवे बेचते हैं. कश्मीर के हथकरघा कारीगर साल भर की मेहनत के बाद शॉल और स्टोल तैयार करते हैं जिनमें जरी का बारीक काम होता है. ऊन से बनने वाली शॉल में भी कढ़ाई और डिजाइन गढ़ने में कारीगरों को काफी वक्त लगता है.

पर्यटन उद्योग ठप्प

370 हटाए जाने के बाद से कश्मीर में पर्यटन उद्योग ठप्प है और पाबंदियों की वजह से लोग घाटी जाने से हिचक रहे हैं. सब्जार और सुहेल की तरह ही शॉल बेचने का काम करने वाले बशीर अहमद भट कहते हैं, “दिल्ली में हमारा ग्राहकों से रिश्ता परिवार की तरह है और इस बार जब हम आए तो उस रिश्ते में कोई बदलाव नहीं दिखा. मुझे तो कोई फर्क महसूस नहीं हुआ.” बशीर बताते हैं कि कैसे श्रद्धालुओं के अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम पहुंचने पर वहां के लोग दिल खोलकर यात्रियों की मेहमाननवाजी करते हैं.

सब्जार, सुहेल और बशीर जैसे फेरीवाले मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में कश्मीर वापस लौट जाएंगे. घर पहुंचने के बाद वे कारीगरों को अगली सर्दी के लिए ऑर्डर देंगे और कुछ लोग पर्यटन के क्षेत्र में काम में लग जाएंगे, तो कुछ किसानी करेंगे. सुहेल कहते हैं कि अप्रैल के बाद से पर्यटकों के आने की उम्मीद है और वह इसकी तैयारी करेंगे और फिर अगली सर्दी के लिए दिल्ली आकर दोबारा इसी तरह से फेरी लगाएंगे.

इस बीच, केंद्र सरकार द्वारा 12 और 13 फरवरी को विदेशी राजदूतों का दूसरा दल कश्मीर दौरे पर लाया गया है. इस प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस, इटली, न्यूजीलैंड, जर्मनी, कनाडा और अफगानिस्तान समेत 25 विदेशी राजदूत शामिल हैं. इससे पहले भी एक विदेशी दल कश्मीर का दौरा कर चुका है. इन दौरे के जरिए कहीं ना कहीं केंद्र सरकार विदेशों में यही संदेश भेजना चाहती है कि कश्मीर में हालात सामान्य हो चुके हैं.

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