भोपाल, 22 जनवरी (आईएएनएस)। समाज के गरीब और पीड़ितों की सेवा करने को कुछ लोग अपना धर्म मानते हैं, उन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कारोबारी प्रदीप अग्रवाल का परिवार। उनका परिवार पिछले छह दशकों से आग व तेजाब से जले लोगों को नि:शुल्क आयुर्वेदिक दवा वितरित करता आ रहा है।
राजधानी के घोड़ा नक्काश इलाके में अग्रवाल पूड़ी भंडार की दूसरी पहचान आग से झुलसे लोगों के दवा वितरण स्थल के तौर पर भी है। एक थाल में हर वक्त जलने वालों को दी जाने वाली दवा की कई पुड़िया रखी होती है और जब भी यहां पीड़ित पहुंचता है, तो उसे यह पुड़िया दी जाती है। हर रोज सौ से ज्यादा पीड़ितों को आयुर्वेदिक दवा की पुड़िया उपलब्ध कराई जाती है। वह भी बगैर किसी भुगतान के।
प्रदीप अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि उनके चाचा शिव नारायण अग्रवाल समाज सेवा में लगे रहते थे। लगभग छह दशक पहले जलने वालों के इलाज के लिए आयुर्वेद का एक फार्मूला बनाया, ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौर में जलने पर बेहतर दवा उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने अपने फार्मूले के मुताबिक दवा भी तैयार की और उसके नतीजे चौंकाने वाले आए।
अग्रवाल के अनुसार शरीर के किसी भी स्थान पर आग अथवा अन्य किसी भी चीज से जले व्यक्ति को इस दवा के लगाते ही आराम मिल जाता है और इसकी खूबी यह है कि इसके लगाने से जलने का दाग भी नहीं रहता है।
अग्रवाल बताते हैं कि उनके चाचा जब तक जीवित रहे वे नि:शुल्क दवा का वितरण करते रहे, उनकी पहचान ही पूडी के कारोबार से अलग दवा देने वाले की बन गई थी। उनकी मौत के बाद परिवार अभी यह क्रम बनाए हुए है, फार्मूला सिर्फ उन्हें ही पता है। आज भी हर रोज सौ से ज्यादा लोग आकर दवा ले जाते हैं।
अग्रवाल की मानें, तो इस दवा का उनके चाचा ने जो फार्मूला बनाया था उसी के मुताबिक उनका परिवार आज भी यह दवा बनाता आ रहा है। उन्हें अच्छा लगता है जब वे किसी पीड़ित को दवा देने के बाद उसे स्वस्थ होते देखते हैं।
आग से झुलसे संतोष कुमार का कहना है कि उन्होंने अग्रवाल परिवार से मिली आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल किया तो उनके जख्म तो ठीक हुए ही, साथ ही किसी तरह का दाग भी नहीं रहा। उन्हें आशंका थी कि कहीं आग के निशान उनके हाथ में न रह जाएं, मगर ऐसा हुआ नहीं।
पीड़ितों की सेवा में सुख तलाशने वाले समाज के उन लोगों के लिए यह एक नजीर है, जो दौलत से सिर्फ अपनी झोली भरने में लगे रहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।