शिरडी-शिरडी के साईं बाबा एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार विवाद उनकी जन्मस्थली पाथरी को लेकर हुआ है। पाथरी को साईं बाबा का जन्म स्थान बताकर महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उसका विकास कराए जाने की घोषणा से ताउम्र उनकी ‘कर्मस्थली’ रहे शिरडी के बाशिंदे नाराज हो गए हैं और उन्होंने अगले दो दिन शहर बंद की घोषणा कर दी है। हालांकि श्री साईं बाबा संस्थान न्यास के जनसम्पर्क अधिकारी मोहन यादव ने मंदिर बंद नहीं रहने की बात कही है, लेकिन होटल-रेस्टोरेंट बंद रहने से श्रद्धालुओं को परेशानी हो सकती है।
इससे पहले बृहस्पतिवार को एनसीपी नेता दुर्रानी अब्दुल्ला खान ने दावा किया था कि पाथरी के साईं बाबा की जन्मस्थली होने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। दुर्रानी ने ‘जन्मभूमि’ व ‘कर्मभूमि’, दोनों की अपनी-अपनी अहमियत होने की बात कही थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि शिरडी निवासी अपनी कमाई बंटने के डर से विरोध कर रहे हैं। इसके बाद ही शिरडी में विरोध की लहर शुरू हुई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चाव्हाण ने कहा है कि जन्मस्थान को लेकर विवाद के कारण पाथरी में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित करने का काम नहीं रोका जा सकता। अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी ही 19वीं सदी के संत साईं बाबा का निवास स्थान था। श्रद्धालुओं का एक बड़ा हिस्सा परभणी जिले में पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान मानता है।
यह विवाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की घोषणा के बाद पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री ने पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर करने की घोषणा की है। राकांपा नेता दुर्रानी अब्दुल्ला खान ने दावा किया है कि पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं। उन्होंने कहा, ‘जहां शिरडी साईं बाबा की कर्मभूमि है, वहीं पाथरी जन्मभूमि है। दोनों जगहों का अपना महत्व है।’