नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने बुधवार को यहां केंद्रीय सलाहकार समिति (सीएसी) की दूसरी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई) की समीक्षा की। पांच पीएमएजीवाई राज्यों के चुनिंदा 1,000 गांवों में योजना के लागू होने की प्रगति की समीक्षा के लिए यह बैठक आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता गहलोत ने की जबकि ग्रामीण विकास मंत्री सह-अध्यक्ष थे। बैठक में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री वी. सांपला, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी.एल. पूनिया, हिमाचल प्रदेश के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री धनी राम पी शांडिल, लोकसभा सांसद अर्जुन राम मेघवाल और रामेन डेका ने भी हिस्सा लिया।
बैठक में पांच पीएमएजीवाई राज्यों का प्रतिनिधित्व इन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। सीएसी के पांच गैर-सरकारी सदस्यों के साथ बैठक में सलाहकार (एचआरजी, ईएनएसडी), केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, नीति आयोग और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद के प्रतिनिधि मौजूद थे।
केंद्र द्वारा प्रायोजित एक पायलट योजना के रूप में पीएमएजीवाई की इस पायलट योजना का उद्घाटन मार्च 2010 में किया गया था। इसका उद्देश्य इन पांच राज्यों में 50 प्रतिशत से ज्यादा अनुसूचित जाति वाले 1,000 गांवों का एकीकृत विकास करना है। केंद्र और राज्यों के उपयुक्त कार्यक्रमों को एक साथ मिलाकर इन गांवों का समेकित विकास किया जाना है। इन गांवों को औसतन 20 लाख रुपये फंड की कमी को पाटने के लिए दिए जा रहे हैं।
वर्तमान में यह योजना पांच राज्यों-असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में लागू किया गया है जो देश के पांच भौगोलिक क्षेत्र क्रमश: पूर्वोत्तर, पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में स्थित हैं। असम को छोड़कर इन राज्यों में योजना के तहत 225 गांवों को शामिल किया गया है। असम में 100 गांव चुने गए हैं। गहलोत ने पीएमएजीवाई राज्यों को सलाह दी कि चयनित गांवों को आदर्श ग्राम का दर्जा दिलाने जैसे योजना के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वे सभी संभव प्रयास करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।