मुंबई, 30 नवंबर – मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने शनिवार को यहां 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के महागठबंधन को विश्वास मत के लिए न्यूनतम 145 वोट की जरूरत थी, लेकिन उन्हें कुल 169 मत मिले। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 105 विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया, जबकि चार विधायक तटस्थ रहे और उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के भतीजे व पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने रोहित पवार और ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ मिलकर सरकार के पक्ष में मतदान किया।
जिन विधायकों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, उनमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक-एक विधायक और ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल-ए-मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के दो विधायक शामिल थे।
अजित पवार ने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ गठजोड़ करते हुए राकांपा से बगावत कर 23 नवंबर की सुबह उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकर सभी को चौंका दिया था। यह सरकार हालांकि मुश्किल से 80 घंटे भी नहीं चल सकी।
वोटिंग से पहले भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही चलने के तरीके पर सवाल उठाया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, वोटिंग करने वाले और इसमें हिस्सा नहीं लेने वाले प्रत्येक विधायक का नाम क्रम संख्या को विधानसभा स्टाफ ने नोट किया और सरकार द्वारा 169 का पूर्ण समर्थन प्राप्त करने के बाद प्रोटेम स्पीकर ने सरकार के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया।
शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुसार, पूरे सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया।
विश्वास मत जीतने के बाद ठाकरे एक चमकीले सुनहरे-केसरिया रंग की पगड़ी पहने मुस्कुराते हुए नजर आए। उन्होंने सरकार पर विश्वास प्रकट करने के लिए विधानसभा का आभार व्यक्त किया।
एमवीए नेताओं ने सदन की कार्यवाही में विभिन्न प्रकार की अड़चनें पैदा करने के लिए विपक्ष पर हमला किया और कहा कि फ्लोर टेस्ट में सत्तारूढ़ गठबंधन के 169 विधायकों के समर्थन का दावा सही साबित हुआ।
फडणवीस की अगुवाई में विपक्षी भाजपा ने आक्रामक रुख अपनाते हुए सत्र का बहिष्कार किया और कहा कि सदन की कार्यवाही ने कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने पूर्व के प्रोटेम स्पीकर कालिदास कोलम्बकर को हटा दिया और उनके स्थान पर दिलीप वलसे-पाटील को नियुक्त किया, जो संसदीय नियमों का उल्लंघन है।
फडणवीस ने 28 नवंबर को शिवाजी पार्क में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के तरीके पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह प्रारूप के अनुसार नहीं किया गया। वलसे-पाटील ने भाजपा के आरोपों को खारिज कर दिया।