भोपाल-कांग्रेस के एक विधायक जजपालसिंह जज्जी की विधायकी खतरे में नजर आ रही है, क्योंकि उनके बार बार जाति बदलने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है.
खबर है कि जजपाल सिंह जज्जी पर आरोप है कि पहले वे सामान्य कोटे से जनपद सदस्य निर्वाचित हुए, फिर कीर जाति के आधार पर ओबीसी के लिए रिजर्व नगर पालिक परिषद अशोक नगर के अध्यक्ष बन गया, इसके बाद खुद को नट बताकर अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट अशोक नगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बन गए. जिला व पुलिस प्रशासन ने जांच में पाया कि जज्जी सिख जाति के है. इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामला फिर छानबीन समिति के पास चला गया है. इधर भाजपा ने भी इस मौका को हथिया लिया और राज्यपाल लालजी टंडन के पास जाने की तैयारी कर ली है, ताकि फर्जी जाति के आधार पर चुनाव लडऩे के कारण जज्जी को अयोग्य घोषित कराया जा सके.
शीतकालीन सत्र से पहले भाजपा इस मामले को उठाने की जोरदार तैयारी कर रही है, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस का एक विधायक कम हो सकता है, यदि ऐसा हुआ तो एमपी में कमलनाथ सरकार को संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भाजपा प्रहलाद लोधी के मामले के बाद से हर कदम बड़े ही सम्हल-सम्हल कर रख रही है, वह अपने विधायकों के अपराधिक रिकार्ड पहले ही मंगा चुकी है, जिसपर मंथन चल रहा है, इसके बाद यह मौका बैठे बिठाए हाथ लग गया है,जिसे भुनाने में भाजपा कोई कसर नहीं छोडऩे वाली है.
ऐसा कुछ है जज्जी का मामला-
वर्ष 2013 में जजपाल सिंह जज्जी के दअनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को लेकर मध्य प्रदेश की जाति प्रमाण पत्र को लेकर काम करने वाली उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष कुछ शिकायतें की गई थी. जिनकी सुनवाई करते हुए छानबीन समिति ने 16 सितम्बर 2013 को जज्जी का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था. जज्जी ने इसी आदेश को कोर्ट में यह कह कर चुनोती दी थी कि उनके साथ न्याय नही किया एवं फैसला राजनीति से प्रेरित है.इस बीच कोर्ट ने सुनबाई के दौरान जज्जी को छानवीन समिति के आदेश पर स्टे भी दे दिया था.हालिया विधानसभा चुनाव में यह मामला तूल पकड़ा था और अब लोधी की सदस्यता बहाल ना होने पर एक बार फिर मामले ने जोर पकड़ लिया है. बीजेपी भी इसे पूरे जोर.शोर से भुनाने में जुटी है.