नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव हरीश चंद्र गुप्ता, छह अन्य तथा एक कंपनी को मंगलवार को सम्मन जारी किया। इन पर विन्नी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए अनुशंसा करने का आरोप है।
विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा बीते महीने दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए कोड़ा व अन्य आरोपियों को 18 फरवरी को अदालत में प्रस्तुत होने के लिए सम्मन जारी किया।
इस मामले में अन्य आरोपियों में पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए.के. बसु, विन्नी आयरन एंड स्टील (वीआईएसयूएल) के निदेशक वैभव तुलस्यान, दो सरकारी अधिकारी- बसंत कुमार भट्टाचार्य तथा विपिन बिहारी सिंह और कथित मध्यस्थ विजय जोशी शामिल हैं।
अदालत ने कहा, “तमाम तथ्यों व परिस्थितियों के मद्देनजर प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि गुप्ता, कोड़ा, बसु, भट्टाचार्य, सिंह, जोशीस वैभव तुलसियान, नवीन तथा वीआईएसयूएल ने देश की प्राकृतिक संपदा को हड़पने के लिए आपराधिक षड्यंत्र रचा।”
सीबीआई ने बीते साल दिसंबर में आरोप पत्र दाखिल किया गया था, जिसमें कोड़ा व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत फर्जीवाड़ा व आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है।
अदालत ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि अनुवीक्षण समिति द्वारा लिया गया फैसला या झारखंड सरकार द्वारा की गई सिफारिश जनहित को ध्यान में रखकर नहीं दी गई और इस बात को नजरंदाज किया गया कि ऐसा करने से जनहित को नुकसान होगा।”
अदालत के मुताबिक, “कोयला सचिव तथा अनुवीक्षण समिति के अध्यक्ष गुप्ता का कर्तव्य देश की संपत्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करना था, जबकि उन्होंने ऐसा नहीं किया।”
न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार प्रथम दृष्टया गुप्ता ने सरकारी कर्मचारी होते हुए संपत्ति की धोखाधड़ी का अपराध किया।
उल्लेखनीय है कि यह मामला झारखंड के राजहरा कस्बे में विन्नी आयरन एंड स्टील लिमिटेड को कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा है। सितंबर 2012 में दर्ज प्राथमिकी में इस कंपनी के निदेशक, कोयला मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों, झारखंड सरकार व अन्य को नामजद किया गया है।
प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने झारखंड के राजहरा उत्तर (पूर्व एवं मध्य) में कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था।
कहा गया है कि कंपनी की सिफारिश न तो कंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने की और न ही झारखंड सरकार ने।
हालांकि, तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के. बसु ने तीन जुलाई, 2008 को आयोजित अनुवीक्षण समिति की बैठक में हिस्सा लिया था और इस कंपनी को कोयला ब्लॉक देने से संबंधित अनुशंसा की थी।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि आवंटन पाने के लिए कंपनी की परिसंपत्तियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया और अनुवीक्षण समिति की बैठक होने के ठीक पहले इसके मालिकाना हक भी बदले गए।
अदालत ने सितंबर में सीबीआई द्वारा दायर अरोपपत्र वापस कर दिया था, क्योंकि न्यायाधीश द्वारा किए गए सवालों का जवाब देने में वह विफल रहा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।