त्वरित टिपण्णी …….. अनिल कुमार सिंह
मध्यप्रदेश की पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं गृह-मंत्री बाला बच्चन के दावों की पोल वैसे तो रोज पुलिस रिकार्ड स्वयं ही बयां कर रहे हैं किन्तु आज पत्रिका अखबार में पत्रिका के इंदौर कार्यालय के अमित मंडलोई की आपबीती छपी है ,विस्तृत घटनाक्रम के इस खाके ने पुलिस की कार्यशैली की अमानवीय एवं विद्रूप शैली को उजागर किया है.15 साल भाजपा सरकार में भाजपा ने विज्ञापनों एवं झूठे आंकड़ों से इस गन्दगी से ढांकने का असफल प्रयास किया था किन्तु कांग्रेस के शासन में मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री ने भरोसेमंद,ईमानदार एवं जनहितैषी एवं मानवीय पुलिस व्यवस्था देने का संकल्प जनता से किया है लेकिन उनके प्रयासों का पुलिस पर कोई प्रभाव नजर आता दिख नहीं रहा है.
आज मप्र के गृह- मंत्री बाला बच्चन प्रेस से कांग्रेस कार्यालय में रूबरू होंगे ,जाहिर है इस आप-बीती के छपने से वे मीडिया के तीखे सवालों का सामना भी करेंगे अब उनका क्या उत्तर आता है क्या अपनी नाकामी को स्वीकार करते हैं या हमेशा की तरह गोल-मोल बातें कर व्यवस्था को उसी कुव्यवस्था के कीचड में फंसे रहने के लिए छोड़ देंगे या उन्हें मुख्यमंत्री का संकल्प याद आएगा एवं वे हो रही अव्यवस्थाओं को सुचारु रूप में लाने है ईमानदार प्रयास करेंगे? वरना ढाक के तीन पात वाली कहावत तो जनता जानती ही है.
जब आपबीती ने मप्र की पुलिस कुव्यवस्था पर चोट की है तो यहाँ मैं भी एक घटना का उल्लेख करना चाहूंगा क्योंकि यह मेरी आपबीती है ,भोपाल के हबीबगंज पुलिस थाने में एक हाऊसिंग सोसाइटी पर प्रकरण दर्ज है चूंकि केस सही है उस पर कार्यवाही होने प्रकरण दर्ज होने में वर्षों लग गए अब चालान प्रस्तुत होने की कगार पर केस पहुँच चुका है इस हेतु थाना प्रभारी से बात करने मैं स्वयं एक हफ्ते से चक्कर लगा रहा हूँ लेकिन वे बात करने का समय ही नहीं दे पाते,विवेचक का स्पष्ट कहना है मुझे इस केस को नहीं करना है मुझे इस केस में इंट्रेस्ट नहीं आ रहा है आप कुछ ऐसा करिये की इंट्रेस्ट आये ,अब स्पष्ट है की चालान प्रस्तुति की अघोषित रिश्वत उन्हें चाहिए अब गृह मंत्री क्या इन सत्यों को स्वीकार कर पाएंगे ,क्या उन्हें पुलिस कार्यशैली की ये कमियां नजर आएँगी या मंत्री जी शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सर छुपा अपने आप को पूरा छुपा मान अलमस्त रहेंगे ?