बरेली (उत्तर प्रदेश), 13 अगस्त । जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने से करीब एक महीने पहले उत्तर प्रदेश के बरेली जिला जेल में कुछ ‘हाई-प्रोफाइल’ कैदियों को रखने के लिए अधिकारियों को आवश्यक तैयारी करने के लिए कहा गया था ।
जेल अधीक्षक यू.के.मिश्रा, जिला अधिकारी वी.के. सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज जी. ने भी व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए जेल परिसर का दौरा किया था।
हालांकि, इन्हें सभी कैदियों की पहचान के बारे में कोई जानकारी नहीं थीं, जिन्हें लाया जाना था।
जेल अधीक्षक ने कहा, “हमें बताया गया था कि आइसोलेशन वार्ड में रखे गए स्थानीय कैदियों को कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए। कोई नहीं जानता था कि नए कैदी कौन हैं और कहां से आने वाले थे।”
10 अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर की विभिन्न जेलों से कुल 20 कैदियों को बरेली जिला जेल में स्थानांतरित किया गया।
तैयारी के हिस्से के तौर पर पूरे परिसर को 200 से अधिक पैन-टिल्ट-जूम (पीटीजेड) सुरक्षा कैमरों के साथ कवर किया गया था जो ‘रिमोट डायरेक्शनल’ और जूम नियंत्रण में सक्षम हैं।
पीटीजेड कैमरों को आअसलेशन सेल में भी लगाया गया था, ताकि घाटी के इन कैदियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
इन कैदियों को जेल में अन्य कैदियों के साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं दी गई है।
जेल के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि आगरा में, कश्मीर के कैदियों को सेंट्रल जेल में रखा गया है जबकि बरेली में जिला जेल को कई कारणों की वजह से वरीयता दी गई थी।
उन्होंने कहा, “सबसे पहले, इस जेल में एक नया कॉम्प्लेक्स है जिसमें सभी नवीनतम प्रौद्योगिकी और अन्य बुनियादी ढांचे हैं। इसके अलावा, कैदियों की संख्या क्षमता से काफी कम है।”
4,000 कैदियों की क्षमता के मुकाबले बरेली जिला जेल, वर्तमान में 2,718 कैदियों का घर है।
सोमवार को, जम्मू एवं कश्मीर के कैदियों ने सुबह में ‘नमाज’ अदा की की और जेल कर्मचारियों ने ईद के अवसर पर उन्हें मुबारकबाद दी, जैसा कि हर त्योहार पर प्रथा है।