नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद नवसृजित केंद्रशासित प्रदेश अब देश के बड़े उद्योगपतियों के लिए निवेश का नया डेस्टिनेशन बनने जा रहा है। कई औद्योगिक घरानों ने इस दिशा में अपनी कवायद शुरू कर दी है। इस सिलसिले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद अब डालमिया समूह के चेयरमैन संजय डालमिया ने कहा है कि वह दो महीने में निवेश संबंधी अपनी कार्ययोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद नवसृजित केंद्रशासित प्रदेश अब देश के बड़े उद्योगपतियों के लिए निवेश का नया डेस्टिनेशन बनने जा रहा है। कई औद्योगिक घरानों ने इस दिशा में अपनी कवायद शुरू कर दी है। इस सिलसिले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद अब डालमिया समूह के चेयरमैन संजय डालमिया ने कहा है कि वह दो महीने में निवेश संबंधी अपनी कार्ययोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे।
उद्योगपति और पूर्व राज्यसभा सदस्य संजय डालमिया ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि वह नए बने केंद्र शासित प्रदेशों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एक कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं और दो महीने के भीतर इसका एक खाका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे।
बकौल डालमिया, प्रदेश में नए निवेश की उनकी इस कार्ययोजना में उनकी बंद पड़ी फैक्टरी को चालू करना भी शामिल है। जम्मू स्थित डालमिया की सिगरेट फैक्टरी पिछले कई सालों से बंद है।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मैं पहले भी जम्मू-कश्मीर में निवेश करना चाहता था, लेकिन वहां के शासकों में गंभीरता नहीं होने की वजह से मैंने अपना फैसला बदल लिया।”
गंभीरता से उनका अभिप्राय पूछे जाने पर डालमिया ने बताया, “अपनी निवेश योजनाओं को लेकर मैं वहां के मुख्यमंत्री से मिलना चाहता था, लेकिन तीन-चार महीने तक इंतजार करने के बाद भी उनसे मुलाकात का वक्त नहीं मिला।”
उन्होंने हालांकि मुख्यमंत्री का नाम जाहिर करने से मना कर दिया, लेकिन बताया कि इससे उनका मनोबल टूट गया और उन्होंने अपनी योजना बदल डाली।
उन्होंने कहा, “पहले जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते थे, लेकिन उद्योग लगाने की मनाही नहीं थी, फिर भी लोग वहां नहीं जाते थे। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि वहां के राजनेता, शासक नहीं चाहते थे कि प्रदेश का विकास हो और लोगों को रोजगार मिले।”
उद्योगपति के साथ-साथ, राष्ट्रवादी व समाजवादी नेता संजय डालमिया ने अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के सरकार के फैसले को उचित ठहराते हुए कहा कि वहां अब रोजगार पैदा करने की जरूरत है, क्योंकि युवाओं को जब काम मिलेगा तब वे पत्थर फेंकने का काम नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां कानून-व्यवस्था दुरुस्त होगी और दूसरे प्रदेशों के कारोबारी वहां पहुंचेंगे और नए उद्योग धंधों का विकास होगा।
देश विभाजन से पूर्व से 1944 में लाहौर में पैदा हुए संजय डालमिया दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट हैं और वह पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री व फिक्की जैसे उद्योग संगठनों से जुड़े हैं।
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी डालमिया ने कहा कि बहरहाल उन्होंने एक ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए समर्पित करने की योजना बनाई है, जिसके जरिए वे कश्मीरी शॉल व अन्य वस्तुएं बेच सकते हैं।
कश्मीर सेब के बागानों, केशर की क्यारियों के लिए जाना जाता है और वहां बागवानी आधारित उद्योगों के लिए व्यापक अवसर हो सकते हैं। इस संबंध में उनकी कोई योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मेरा जिसमें अनुभव है, उसमें ही मैं अपना निवेश करना चाहूंगा। लेकिन बागवानी के क्षेत्र में वाकई अवसर हो सकते हैं, जहां दूसरे राज्यों के विशेषज्ञ व कारोबारी वहां के किसानों की बेहतरी के लिए काम कर सकते हैं।”
डालमिया ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, हालांकि फार्मास्युटिकल्स और पॉवर प्रोजेक्ट्स भी वहां लगाए जा सकते हैं।
इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने सोमवार को कहा कि उनकी कंपनी नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास में सहायक बनने को लेकर प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कंपनी क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाशने के लिए एक कार्यबल बनाएगी।