रायपुर- छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सत्ता सँभालते ही भविष्य की पत्रकारिता यानी डिजिटल मीडिया को रौंदने का कार्य शुरू कर दिया है ,वेब पत्रकारिता अपने शैशव काल से ही आर्थिक बदहाली के बोझ तले दबी हुयी है वहीँ इस सरकार ने उसपर यूनिक यूजर का इतना बड़ा बोझ डाल दिया है की संस्थानों को दिन में तारे नजर आ रहे हैं।
हिंदी पत्रकारिता उसमें भी डिजिटल हिंदी पत्रकारिता वैसे ही संकट के दौर से गुजर रही है ,कई हिंदी अखबार बंद हो रहे हैं ,सरकारें इस स्तम्भ को बचाने आर्थिक सहायता करती हैं लेकिन छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने भविष्य की डिजिटल पत्रकारिता का गला उसके शैशवकाल में घोंटने का प्रण ले लिया है।
बघेल सरकार ने जहाँ प्रिंट मीडिया की दरों में दोगुना इजाफा किया है वहीँ वेब मीडिया को यूनिक यूजर संख्या के हिसाब से नाम-मात्र की पंजीरी चढ़ाई है.हास्यापद यह है की स्थानीय वेब मीडिया को अधिकतम 300000 यूनिक यूजर लाने पर 50000 रुपये का प्रावधान किया है ,जबकि इतने यूनिक यूजर पाने वाली वेबसाइट के संचालन खर्च में ही इससे अधिक रुपये खर्च हो जाते हैं ,छत्तीसगढ़ में वेब मीडिया संचालकों का कोई संगठन न होने की वजह से अभी तक इस परेशानी को सरकार तक नहीं पहुंचा पाया गया है।
वहीँ छत्तीसगढ़ से बाहर की वेब साइट को 5 लाख यूनिक यूजर लाने पर 50 हजार रुपये का विज्ञापन आदेश प्रदान करने का संकल्प छत्तीसगढ़ शासन ने लिया है।
जबकि सरकार को यूनिक यूजर के तय मान से विज्ञापन राशि तय करनी थी या यूनिक यूजर कम रखने थे ,इस तरह की स्लैब से न पत्रकारिता हो पाएगी और न खर्च निकलेगा।
अब देखना है की इस आदेश के विरोध में वेब मीडिया संचालक कितना संघर्ष कर पाते हैं हिंदी पत्रकारिता के वेब पर पाठक वैसे भी कम हैं और इतने यूनिक यूजर इतनी कम धनराशि में वेब संचालक दे पाएंगे कहना कठिन है भविष्य आगे संघर्ष की रूपरेखा बना रहा है यह स्पष्ट है.