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 वंचित वर्ग की आवाज बन रहा बॉलीवुड | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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वंचित वर्ग की आवाज बन रहा बॉलीवुड

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। बीते कुछ समय से बॉलीवुड की फिल्मों में छोटे शहरों की प्रेम कहानियों और वंचितों को तवज्जो दी जाने लगी है। ग्लैमर से भरपूर ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’, ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘रांझणा’, ‘सुपर 30’ ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जो भारत की अनेकता व विभिन्न पक्षों के साथ ही वंचितों की आवाज को भी सामने ला रहे हैं।

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। बीते कुछ समय से बॉलीवुड की फिल्मों में छोटे शहरों की प्रेम कहानियों और वंचितों को तवज्जो दी जाने लगी है। ग्लैमर से भरपूर ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’, ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘रांझणा’, ‘सुपर 30’ ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जो भारत की अनेकता व विभिन्न पक्षों के साथ ही वंचितों की आवाज को भी सामने ला रहे हैं।

हिंदी सिनेमा इसे 2019 में अगले स्तर पर ले जाने की फिराक में है। चाहे वह ‘गली बॉय’ का स्ट्रीट रैपर हो, या ‘सुपर 30’ के वंचित प्रतिभाशाली किशोर, या ‘आर्टिकल 15’ की निम्न जाति, जिनके मौलिक अधिकारों से भी उन्हें वंचित रखा जाता है। ऐसे में यह साफ नजर आता है कि बॉलीवुड ऐसे पिछड़ों और आवाजहीन पक्षों को फिल्मों के जरिए दुनियाभर के लोगों के कानों तक पहुंचा रहा है।

फिल्म ‘सुपर 30’ की बात करे तो इसमें पटना में रहने वाले गणित के जानकार आनंद कुमार के जीवन पर आधारित है। आईआईटी-जेईई की तैयारी कर रहे वंचित छात्रों को उनकी मंजिल तक ‘सुपर 30’ पहुंचाता हैं, जो कि फिल्म का मूल विषय है। फिल्म में मुख्य रूप से यह दिखाया गया है कि गरीब, निम्न जाति के बच्चे जो प्रतिभाशाली हैं, जिनके पास पैसे नहीं हैं, वे भी आईआईटी-जी में प्रवेश करने के हकदार हैं।

अभी पिछले महीने रिलीज हुई अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘आर्टिकल 15’ में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर हो रहे भेदभाव को दिखाया गया है।

फिल्म का मुख्य किरदार निभाने वाले आयुष्मान खुराना ने मीडिया से कहा था, “इस फिल्म को बनाने के मुख्य कारणों में से एक यह भी है कि हम उस ग्रामीण भारत तक पहुंचना चाहते हैं, जहां आज भी जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है।”

जब इस साल की शुरुआत में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट स्टारर ‘गली बॉय’ रिलीज हुई, तो स्ट्रीट रैपर खुद के लिए ‘अपना समय आएगा’ कहते नहीं थकते थे। यह फिल्म दर्शकों को मुंबई के धारावी की मलिन बस्तियों में ले जाती है। फिल्म स्ट्रीट रैपर्स डिवाइन और नावेद शेख उर्फ नेजी की जीवन की कहानी से प्रेरित थी।

इससे यह साबित होता है कि बॉलीवुड की नजर अब उन वंचितों की तलाश में हैं, जो अपनी कहानी के माध्यम से दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं। अगर बॉलीवुड के बड़े सितारे इस तरह के विषयों को लेने की हिम्मत दिखाते हैं, तो दर्शक सकारात्मक प्रतिक्रिया जरूर देंगे।

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