पटना – बेगूसराय के समाजसेवी राज किशोर सिंह ने अपनी मां की मृ’त्यु पर मृ’त्युभोज देने से इंकार कर दिया। इस तरह राज किशोर सिंह ने सामाजिक परंपराओं को मानने से इंकार कर दिया लेकिन गांव वालों ने उनके इस कदम को सराहा क्योंकि वे मृ’त्युभोज पर खर्च होने वाले लगभग 10 लाख रुपये को अपने गांव के विद्यालय के विकास के लिए दान दे दिया। राज किशोर सिंह का मानना है कि समाज में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि शिक्षित बच्चे ही शिक्षित देश की नींव रखते हैं इसलिए मैं अपने गांव के रघुनंदन सिंह हाईस्कूल की जर्जर स्थिति को सुधारने के लिए दान दिया हूं।
राज किशोर सिंह का कहना है कि अगर मैं अपनी स्वर्गवासी मां के श्राध्द-कर्म के लिए खर्च करता तो उनकी आत्मा की शांति के लिए यह छोटी बात होती इसलिए मैंने अपने गांव मोहनपुर के खंडहर स्कूल को पढ़ाने लायक स्कूल बनाने के लिए दान दे दिया है ताकि यहां पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुधरे, जिससे मेरी माता की आत्मा को शांति मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि श्राध्द कर्म सामाजिक विकास से छोटा काम है इसलिए अन्य लोग भी इस तरह की सुधारात्मक काम करे।
ग्रामीणों ने राज किशोर के कदम को खूब सराहा-
आपको बता दें कि उसी गांव के ग्रामीणों ने राज किशोर सिंह के इस कदम का भरपूर समर्थन किया और कहा कि लोग सरकार भरोसे रहते हैं जबकि सरकार हर चीजों की पूर्ति नहीं कर सकती है इसलिए हमें अपनी ओर से कुछ सुधारात्मक कदम उठाना चाहिए। जहां तक श्राध्द-कर्म के बदले दान देने की बात है तो मैं कहना चाहूंगा कि मृ’त्युभोज एक क्षणिक कर्म है इसमें लाखों रुपये बिना किसी उद्देश्य के बर्बाद हो जाते हैं। अगर यही रुपया अच्छे कामों में लगाया जाए तो आम लोगों का काफी भला होगा।