छत्तीसगढ़ में मिड-डे मील में अंडा परोसने को लेकर भाजपा की राजनीति ने हल्ला मचा दिया है जिस राज्य में बच्चों में कुपोषण एवं मृत्यु दर बहुत अधिक है उस राज्य में अंडा परोसने को लेकर विवाद उचित नहीं।भाजपा ने कबीरपंथियों की आड़ ले कर इस मुद्दे को तूल दे दिया है।
राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 30% है। आदिवासियों कि संस्कृति एवं जीवन शैली में मुर्गियों का एक विशिष्ट स्थान होता है।यह एक सर्वविदित तथ्य है कि अधिकाँश गरीब परिवार मुर्गी पालन पर आंशिक निर्भरता रखते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि प्रदेश की कुल 81 लाख कुक्कट संख्या में लगभग 30% की संख्या देसी घरेलू मुर्गियों की है। आमतौर पर प्रत्येक आदिवासी परिवार में 5-10 मुर्गियाँ पाली जाती हैं। देसी मुर्गियाँ वर्ष में 3 बार ही अंडे देती है। इस प्रकार प्रत्येक बार 10-12 अंडे देने पर वर्ष मने उनका औसत उत्पादन कुल 30-35 अंडे माना जा सकता है। इस उत्पादन का 10-15% हिस्सा अंडे के रूप में खाने के उपयोग में लाया जाता है तथा 85-90% हिस्सा चूजे उत्पन्न कर उन्हें मांस के लिए पाला जाता है।
सन 2015 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने अंडे को बच्चों को परोसने का यह कह विरोध किया था कि दूरस्थ क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं अतः अण्डों में फफूंद लग सकती है लेकिन इसका जवाब यह आया था की स्थानीय स्तर पर ही अण्डों की व्यवस्था हो जायेगी।
इस समर्थन और विरोध के बीच एक तरफ धार्मिक भावना के आहत होने के मामले में कबीरपंथ खड़ा है तो साथ ही उन्हें भाजयुमो का भी समर्थन मिल गया है। इस तरह बीजेपी भी अंडा वितरण मामले में एक तरह से विरोध में है। जबकि विरोध और चेतावनी के बाद आज शुक्रवार को सभी कांग्रेस विधायकों ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए अंडा वितरण का समर्थन किया है। कांग्रेस विधायकों ने बैठक कर मुख्यमंत्री श्री बघेल से 1 की बजाए सप्ताह में 3 दिन बच्चों को अंडा egg देने की मांग की है। ऐसे में चुनावी माहौल शांत होने के बाद अब सूबे की सियासत अंडा परोसने को लेकर गरमाई हुई है।सरकार के अंडा परोसने वाले फैसले का कबीरपंत के सतगुरु कबीर धनीधर्मदास साहब सेवा समिति ने पुरजोर विरोध किया है। अंडा परोसने वाली योजना से खफा कबीरपंथी गुरुवार को कलेक्टोरेट का घेराव भी कर चुके हैं। पंथ को मानने वालों का कहना है कि स्कूल में पंथ के परिवार के बच्चे भी हैं जो शुध्द शाकाहारी हैं और अंडा मांसाहारी है। ऐसे में बिना सोचे-समझे मध्यान्ह भोजन में महज प्रोटीन देने और कुपोषण दूर करने के लिए अंडा ही सरकार ने एकमात्र विकल्प देकर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है। पंथवादियों ने साफ शब्दों में कहा है कि 16 जुलाई तक अगर योजना बंद नहीं की गई तो 17 को बिलासपुर-रायपुर हाईवे दामाखेड़ा में चक्काजाम किया जाएगा। घेराव में समाज की महिलाएं भी शामिल थीं। वे रैली निकाल कर कलेक्टोरेट तक पहुंची हुई थी। वहीं कलेक्टोरेट में भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष विजय शर्मा भी सेवा समिति के मांगो के समर्थन करने पहुंचे हुए थे। उन्होंने समिति के सभी मांगों को सही ठहरा और कहा कि बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा परोसा जाना गलत है। शासन को अपने फैसले को वापस लेना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने समाज का समर्थन किया।
मध्याह्न भोजन में अंडा दिए जाने को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि मेन्यू में अंडा को नियमित रूप से शामिल नहीं करना चाहिए. क्योंकि प्रदेश में कबीरपंथ से जुड़े लोग इसे नहीं खाते और वे उनकी भावना से जुड़ा मामला है, इसलिए वे विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को इसे मेन्यू में शामिल करने से परहेज करना चाहिए. इसको लेकर बीजेपी ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है.इस मामले को लेकर सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम खुद राज्य सरकार के बचाव में उतर आये हैं. उनका कहना है कि मध्याह्न भोजन में अंडा के अलावा जो शाकाहारी हैं उनके लिए अलग से व्यवस्था की गई हैं. दूसरी ओर राज्य के मंत्री शिव कुमार डहरिया का कहना है कि जो मांग कबीर पंथी समुदाय से आयी हैं, उस पर विचार किया जायेगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ के विधायकों ने पत्र लिखकर स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन में अण्डा उपलब्ध कराने की योजना की प्रशंसा की है। इस पत्र में विधायकों ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के बच्चों में कुपोषण को देखते हुए मध्यान्ह भोजन में प्रोटीन तत्व आवश्यक आहार में भरपूर मात्रा में शामिल करना जरूरी है।
विधायकों ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से बच्चों को मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में तीन दिन अण्डा उपलब्ध कराने का आग्रह किया और कहा कि इससे, जहां छत्तीसगढ़ के बच्चों में व्याप्त कुपोषण दूर करने और स्वस्थ बनाने में मदद मिलेगी, वहीं स्वस्थ छत्तीसगढ़ का निर्माण भी किया जा सकेगा।बता दें कि सरकारी स्कूलों के मध्यान्ह भोजन में अंडा नहीं परोसने की मांग को लेकर कबीरपंथियों ने सीएम भूपेश को पत्र लिखा था और मध्यान्ह भोजन में अंडा परोसना बंद नहीं करने पर शासन के विरोध में कबीर पंथ के धर्म गुरु ने नेशनल हाइवे जाम कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की बात भी कही थी.बता दें कि सरकारी स्कूलों के मध्यान्ह भोजन में अंडा नहीं परोसने की मांग को लेकर कबीरपंथियों ने सीएम भूपेश को पत्र लिखा था और मध्यान्ह भोजन में अंडा परोसना बंद नहीं करने पर शासन के विरोध में कबीर पंथ के धर्म गुरु ने नेशनल हाइवे जाम कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की बात भी कही थी