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उर्दू विश्वविद्यालय को उद्योग से जोड़ेंगे मोदी के मुस्लिम मित्र

मोहम्मद शफीक

मोहम्मद शफीक

हैदराबाद, 19 जनवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी मुस्लिम मित्र और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के कुलाधिपति जफर सरेशवाला संस्थान को उद्योग से जोड़ने में रुचि ले रहे हैं।

52 वर्षीय गुजराती उद्योगपति की प्राथमिकताओं में हैदराबाद स्थित उर्दू विश्वविद्यालय को कारपोरेट सेक्टर से जोड़ना, परिसर से नियमित नियुक्ति सुनिश्चित करना और अनुसंधान कार्य एवं दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से हाथ मिलाना शामिल है।

सरेशवाला ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि यह विश्वविद्यालय वैसी शिक्षा का हिस्सा बने जो रोजगार मुहैया कराने में समर्थ है। हम वैसी ‘फैक्ट्री’ नहीं बनाना चाहते जो बेरोजगार स्नातक तैयार करने वाला हो।”

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें शिक्षा क्षेत्र में मुसलमानों के लिए कुछ करने के लिए यहां भेजा है।

अपनी नियुक्ति पर विभिन्न वर्गो में हो रही आलोचना की परवाह नहीं करते हुए पारसोली कारपोरेशन लि. के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक ने प्रभार लेने के बाद अपना काम शुरू कर दिया है।

परिसर के सकारात्मक माहौल और शिक्षकों का अपने काम के प्रति समर्पण से प्रभावित इस कारोबारी ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ और बुद्धिजीवियों के सामने अपने विचारों को रखा। इससे साफ संकेत मिलता है कि उनका मतलब काम के प्रति गंभीरता है।

कुलाधिपति के रूप में सक्रिय भूमिका निभाने की दिशा में सचेष्ट सरेशवाला का विचार यह है एमएएनयूयू उर्दू का विकास करने के अपने लक्ष्य और अपने छात्रों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष बनाकर रोजगार सक्षम बनाने के बीच संतुलन कायम करे।

उन्होंने कहा, “मेरी पहली प्राथमिकता यह देखने की है कि विश्वविद्यालय का बड़ा मंच अपनी पूरी क्षमता से काम करे और यदि नहीं तो क्यों नहीं। समाधान क्या है? यह समाधान विश्वविद्यालय के स्तर पर संभव है या उसे और ध्यान जरूरत है?”

छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद कार्यक्रम की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा अनुभव है कि इस विश्वविद्यालय को दुनियाभर के विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ की जरूरत है। यही दुनियाभर में हो रही चीजों के साथ होने का रास्ता है।”

उन्होंने कहा, “मैं प्रयास करूंगा और विश्वविद्यालय का उद्योग और कारपोरेट के साथ संपर्क कराऊंगा। कोई भी विश्वविद्यालय अनुसंधान कार्य के लिए जाना जाता है न कि आपने कितने अनुसंधान प्रकाशित किए हैं इससे। अनुसंधान आपका संपर्क कारपोरेट से कराता है।”

विश्वविद्यालय तक मदरसा पृष्ठभूमि वाले अधिसंख्य छात्रों के पहुंचने को देखते हुए सरेशवाला महसूस करते हैं कि बेहतर संभावनाओं के लिए उन्हें अंग्रेजी में भी बेहतर होना होगा।

इस केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1998 में उर्दू भाषा के विकास के साथ ही उर्दू में तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के लिए गई थी। विश्वविद्यालय के अधीन तीन आईटीआई और तीन पोलीटेक्निक कालेज हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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