नई दिल्ली, 21 जून । तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने शुक्रवार को विपक्ष के विरोध के बीच मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को लोकसभा में पेश किया।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह मुस्लिम परिवारों को नुकसान पहुंचाएगा और यह विधेयक भेदभावपूर्ण है।
विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से विधेयक पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन का अनुरोध किया।
186 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, वहीं 74 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे पेश करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर अध्यादेश जारी होने के बाद तीन तालाक के केवल 31 मामले सामने आए हैं।
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन की मांग की।
ओवैसी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है, तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान है। उन्होंने जानना चाहा कि ऐसा प्रावधान क्यों किया जा रहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इसी अपराध में कहीं अधिक कड़ी तीन साल की सजा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वह इस की वजह जानना चाहते हैं।
कांग्रेस के शशि थरूर और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने भी इसका विरोध किया।
थरूर ने कहा कि विधेयक ने मुस्लिम महिलाओं को कोई लाभ नहीं पहुंचाया।
उन्होंने कहा, “मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा के बजाय, विधेयक मुस्लिम पुरुषों का अपराधीकरण करता है।”
प्रेमचंद्रन ने कहा कि विधेयक ने संविधान के अनुच्छेद 32 का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि विवाह विवादों को आपराधिक कृत्य के दायरे में नहीं रखा जाना चाहिए।
इससे पहले विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव होते ही यह समाप्त हो गया था।
यह 17 वीं लोकसभा में पेश किया जाने वाला पहला विधेयक है।