मस्कट, 15 जून (आईएएनएस)। सरकारें और टैंकर कंपनियां प्रमुख समुद्री मार्गो की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास कर रही हैं, क्योंकि अमेरिका और ईरान ने ओमान की खाड़ी में दो टैंकरों पर हुए हमले में एक-दूसरे के ऊपर आरोप लगा है। इस जलमार्ग से दुनिया एक तिहाई समुद्री मार्ग से होनेवाली कच्चे तेल की आपूर्ति होती है।
समाचार एजेंसी एफे न्यूज ने शनिवार को सऊदी अरब के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि सऊदी अरब ने तेल कुओं और रणनीतिक क्षेत्रों के आसपास की सुरक्षा बढ़ा दी है।
अधिकारी ने बताया कि हमले में होर्मुज के जलडमरूमध्य की कमजोरियों को उजागर किया है, जिससे होकर रोजाना दो से तीन दर्जन जहाज गुजरते हैं। खाड़ी के देश ड्रोन और टारपीडो से होनेवाले हमलों के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाने पर काम कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि भविष्य में इस प्रकार के हमलों से निपटने का तरीका खोजा जाए और सभी को आश्वस्त किया जाए कि यह मार्ग अभी भी सुरक्षित है।”
खाड़ी देशों के जानकार अधिकारियों ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शिपिंग कंपनियों के साथ मिलकर पर्सिया की खाड़ी में समुद्री मार्ग की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास में जुटी है।
सिंगापुर के एक ब्रोकर के मुताबिक, शिपिंग बीमा की लागत तेजी से बढ़ रही है। मध्य पूर्व से चीन के मार्ग की ओर जानेवाले सुपर टैंकर कार्गो के बीमा की दर में गुरुवार को हुए हमलों के बाद 34 फीसदी का उछाल आया है, जो 24,854 डॉलर रोजाना है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स (आईआरजीसी) जापान की कोकुका करेजन और नार्वे की कंपनी के स्वामित्व वाली फ्रंट अलटेयर जहाज पर हमलों की जिम्मेदार है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से कहा, “ईरान ने यह किया है।”
इसके जवाब में ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरिफ ने शुक्रवार को ट्विटर पर कहा, “यह अमेरिका और उसके सहयोगियों की ही करतूत हो सकती है, क्योंकि हमले के तुरंत बाद अमेरिका बिना परिस्थितिजन्य सबूतों और जांच के ही ईरान पर आरोप लगाने लगा।”