पटना, 4 जून (आईएएनएस)। नदियों में गाद की समस्या को देखते हुए बिहार में नदियों में खतरे के निशान का निर्धारण फिर से करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा गाद की समस्या पर भी विचार करने की बात कही गई है।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधक प्राधिकरण का मानना है कि राज्य में नदियों के खतरे के निशान का निर्धारण आजादी के पहले का है, जिसके पुनर्निर्धारण की आवश्यकता है। कई नदियों में बराज जरूर बने हैं, परंतु नदियों के खतरे के निशान में कोई परिवर्तन नहीं आया।
प्राधिकरण का कहना है कि कई नदियों के स्वरूप में भी उस समय से काफी बदलाव आया है। बराज बन जाने के बाद खतरे के निशान पार कर जाने के बाद भी कई नदियों के बाढ़ के पानी का फैलाव कम होता है।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यासजी ने कहा कि जल संसाधन विभाग को नए सिरे से खतरे का निशान तय कर वहां ‘इंडिकेटर’ लगाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि विभाग यह कार्य केंद्रीय जल आयोग के साथ मिलकर करेगा।
उल्लेखनीय है कि पहले नदियों के खतरे के निशान का निर्धारण आसपास के मकानों के ‘प्लींथ लेवल’ के हिसाब से होता था। इसके अलावा बिहार की सभी नदियों में गाद भी भर गई है, जिससे खतरे के निशान के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता काफी दिनों से महसूस की जा रही थी।