कानपुर, 4 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने चुनी हुई सरकारों से कहा है कि वे ‘सत्ता के दुरुपयोग’ को रोकने पर ध्यान दें।
आरएसएस प्रमुख ने यहां 600 स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, “एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुने जाने वालों में अपार शक्ति होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसका दुरुपयोग किया जाए।”
उन्होंने कहा, “यदि इसको लेकर सरकार किसी भी समय लड़खड़ाती दिखाई देती है, तो संघ सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सलाह और सुझाव देगा।”
आरएसएस प्रमुख की यह टिप्पणी 17वीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भारी बहुमत मिलने के बाद और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद आई है।
चार दिन की कानपुर यात्रा पर आए भागवत ने स्वयंसेवकों को अहंकारी न होने को कहा है।
उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितना अच्छा काम किया और कितने लोगों की मदद की, अहंकार सबकुछ छीन लेता है।”
आरएसएस प्रमुख ने स्वयंसेवकों के साथ अपनी बातचीत में राष्ट्रवाद, सामाजिक समानता और सेवा जैसे विषयों पर चर्चा की।
उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों के गुणात्मक विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया और उन्हें समाज के प्रति समर्पण के बारे में अपने विचारों से अवगत कराया।
आरएसएस के नेता मोहन अग्रवाल ने मीडियाकर्मियों से कहा, “उन्होंने सामाजिक समानता लाने और अशिक्षा, नशीली दवाओं व शराब की लत जैसी अन्य सामाजिक बुराइयों को मिटाने का भी आह्वान किया।”