नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, सैन्य और उपकरण आधुनिकीकरण, रक्षा सुधार के अलावा मंत्रालय के लिए अधिक धन जुटाने जैसी प्रमुख चुनौतियां नए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष हैं। विश्लेषकों का ऐसा कहना है।
रक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि तीनों सेवाओं के हेलीकॉप्टर बेड़े में व्यापक प्रतिस्थापन की आवश्यकता है।
सिंह ने शनिवार को देश के रक्षामंत्री के रूप में पदभार संभाला। वह पिछले पांच सालों में इस मंत्रालय को संभालने वाले चौथे व्यक्ति हैं। इससे पहले अरुण जेटली (दो बार), मनोहर पर्रिकर और निर्मला सीतारमण ने इस मंत्रालय को संभाला है।
रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाईक, सेना प्रमुख बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने राजनाथ की अगवानी की। नाईक ने शुक्रवार को ही पदभार संभाल लिया था।
पूर्व बिग्रेडियर और रक्षा विशेषज्ञ एस. के. चटर्जी ने आईएएनएस से कहा, “राजनाथ सिंह के लिए प्रमुख चुनौती एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करने की है, जिसे नवगठित रक्षा योजना समिति द्वारा तैयार किया जाना था। यह रणनीति सेना को नए दिशानिर्देश प्रदान करेगी।”
उन्होंने कहा, “इसके अलावा हमें रूस की एस-400 रक्षा प्रणाली को भी तैनात करनी है तथा इसके कारण अमेरिका के साथ हमारे संबंधों पर पड़नेवाले प्रभाव को भी ध्यान में रखना है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को मेक इन इंडिया पहल पर और अधिक जोर देना चाहिए और हार्डवेयर खरीदने के बजाए उनके उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए।
रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा का कहना है, “दूसरे देशों के साथ मिलकर रक्षा उत्पादन करने की जरूरत है। हमें रूस, अमेरिका, इजरायल और अन्य देशों के साथ उत्पादन करना चाहिए।”
विशेषज्ञों का कहना है कि सिंह एक सफल गृहमंत्री रहे हैं। उनके लिए आगे का रास्ता उतना कठिन नहीं है। उनकी नेतृत्व क्षमता में तीनों सेनाएं आगे बढ़ेंगी।