सिडनी, 30 मई (आईएएनएस)। ज्यादातर हीरे प्राचीन समुद्रतल (सीबेड्स) से बनते हैं जो पृथ्वी के क्रस्ट के नीचे गहराई में दफन हो जाते हैं। एक शोध में यह पता चला है।
पत्रका ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित शोध-आलेख में कहा गया है कि पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले अधिकांश हीरे इसी तरह बने हैं, जबकि दूसरों को मैटल में गहराई के साथ पिघलाकर क्रिस्टलीकरण कर के बनाया जाता है।
लगभग 200 किलोमीटर भूमिगत पाए जाने वाले अत्यधिक दबावों और तापमानों को पुन: प्रदर्शित करने वाले प्रयोगों में, शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है कि समुद्र के तल से तलछट में समुद्र का पानी हीरे में पाए जाने वाले लवण के संतुलन का उत्पादन करने के लिए सही तरीके से प्रतिक्रिया करता है।
शोधकर्ताओं ने हीरे के बनने के बारे में एक लंबे अरसे से खड़े सवाल को सुलझाया है।
ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के मैक्वेरी विश्वविद्यालय से लेखक माइकल फोस्र्टर ने कहा, “एक सिद्धांत था कि हीरे के अंदर फंसे नमक समुद्री जल से आए हैं, लेकिन उनका परीक्षण नहीं किया गया था। हमारे शोध से पता चला है कि वे समुद्री तलछट से आए थे।”
हीरे कार्बन के क्रिस्टल हैं जो पृथ्वी की चट्टान-परतों के नीचे बहुत पुराने हिस्सों में बनते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद एक विशेष प्रकार के मैग्मा किम्बरलाइट के साथ वे सतह पर आ जाते हैं।