बेंगलुरू, 28 मई (आईएएनएस)। संसदीय चुनाव में अपनी हार से स्तब्ध कांग्रेस ने राज्य में अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की शानदार जीत के लिए वोटों के ध्रुवीकरण और ‘छिपी हुई’ मोदी लहर को जिम्मेदार ठहराया। पार्टी यहां की 28 लोकसभा सीटों में से केवल एक सीट जीत पाई, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया है।
बेंगलुरू, 28 मई (आईएएनएस)। संसदीय चुनाव में अपनी हार से स्तब्ध कांग्रेस ने राज्य में अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की शानदार जीत के लिए वोटों के ध्रुवीकरण और ‘छिपी हुई’ मोदी लहर को जिम्मेदार ठहराया। पार्टी यहां की 28 लोकसभा सीटों में से केवल एक सीट जीत पाई, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के.ई. राधाकृष्णन ने आईएएनएस से कहा, “बेरोजगारी और ग्रामीण संकट जैसे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय भाजपा फरवरी में पुलवामा हमले और उसके बाद पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले के बाद देश की सुरक्षा के नाम पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में सक्षम रही।”
जद (एस) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में कांग्रेस ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से वह मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई। जबकि 2014 के आम चुनाव में जीती आठ सीटों पर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
एकमात्र जीती हुई सीट बेंगलुरू ग्रामीण है, जहां डी.के. सुरेश ने भाजपा के अश्वथ नारायणगौड़ा को 2,06,870 मतों से हराया। सुरेश राज्य के मंत्री डी.के. शिवकुमार के भाई हैं, जो राजनीतिक रूप से प्रभावी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं।
जद (एस) ने भी केवल हासन सीट जीती, जो पार्टी प्रमुख एच.डी. देवगौड़ा का मजबूत गढ़ है।
राधाकृष्णन ने कहा, “फरवरी मध्य और अप्रैल मध्य के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 रैलियां की, जिसमें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए आतंकी हमले और भारत के सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले के बाद सुरक्षा चिंताओं को उठाया। जबकि हम न्यूनतम आय गारंटी योजना-न्याय, रोजगार सृजन, कृषि संकट पर अपना ध्यान केंद्रित करते रहे।”
यह स्वीकार करते हुए कि पार्टी मोदी लहर को भांपने में विफल रही, क्योंकि यह अंडरकरंट था। प्रवक्ता ने कहा कि मतदाताओं के ध्रुवीकरण और धनबल ने भाजपा को 17 सीटें अपने पास बरकरार रखने और कांग्रेस व जद (एस) से बाकी सीटें भी छीनने में मदद मिली।
राधाकृष्णन ने कहा, “जद (एस) के साथ सीट बंटवारे में हमने भाजपा के साथ सीधी लड़ाई के लिए संयुक्त प्रत्याशी खड़े किए और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि हमारे वोट त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले के बाद भी बंटे नहीं। लेकिन हमारी चुनाव रणनीति विफल हो गई और दोनों गठबंधन साथियों के बीच मतों का स्थानांतरण नहीं हुआ।”
कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य है जहां भाजपा ने 2004 से अपनी मजबूत स्थिति बरकरार रखी है। पार्टी ने तब 18 सीट जीती थी।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने आईएएनएस से कहा, “कांग्रेस को इस चुनाव में जद (एस) से ज्यादा बड़ी हार मिली है। संयुक्त उम्मीदवार उतारकर, इसने गठबंधन धर्म निभाने के लिए जीती हुई सीट जैसे तुमकुर जद (एस) को दे दी।”
मोदी लहर इतना ज्यादा था कि कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने गढ़ गुलबर्गा में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
विशेषज्ञ ने कहा, “भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रत्येक वोट मोदी के सत्ता में वापसी के लिए था। भगवा सुनामी में कांग्रेस के दिग्गज जैसे एम.वीरप्पा मोइली को चिकबलपुर से, के.एच. मुनियप्पा को कोलार से और आर. ध्रुवनारायाण को चमरामजानगर से हार का सामना करना पड़ा।”