नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। देश की बहुलता और समरसता पर खतरे की आशंका जताते हुए देश के गांधीजनों ने सरकार के मौन पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। गांधीजनों ने मौजूदा समय में देश में सिर उठा रही सांप्रदायिकता, असहिष्णुता पर गहरा दुख प्रकट किया है और सरकार, समाज को आगाह भी किया है।
देश की प्रतिनिधि गांधीवादी संस्थाओं की ओर से यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि एक तरफ सरकार गांधीजी की ‘घर वापसी’ के सौ बरस मनाती दिख रही है तो दूसरी तरफ उसी से जुड़े कुछ संगठन, व्यक्ति एक भिन्न तरह की ‘घर वापसी’ के काम में जुट गए हैं।
बयान में कहा गया है, “इन्हीं में से कुछ लोग बहुलता और समरसता के इस आंगन में कुछ ऐसी मूर्तियां लगाने, कुछ ऐसी फिल्में बनाने, दिखाने की बातें कर रहे हैं, जो वर्षो से टिके इस सुंदर ताने-बाने को तोड़ सकती हैं।”
गांधी स्मारक निधि के सचिव, वयोवृद्ध गांधीवादी रामचंद्र राही, एवार्ड के अध्यक्ष प्यारे मोहन त्रिपाठी, गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्षा राधा भट्ट, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक ए. अन्नामलाई और गांधी मार्ग के संपादक अनुपम मिश्र के हस्ताक्षर से जारी इस बयान में विनम्रता के साथ सरकार को चेताया भी गया है।
बयान में कहा गया है, “हम इन सब बातों से दु:खी थे, पर मौन थे। हमें लगता था कि इतने मतदाताओं के बहुमत से जीतकर आई सरकार अब समाज के बहुमन का आदर करेगी। लेकिन सरकार ने इन सारे घृणित प्रसंगों में जिस तरह की चुप्पी साधी है, उसे देख हमें लगता है कि हमें अपना मौन तोड़ना चाहिए।”
बयान में कहा गया है, “राजनीति में अल्पमत कभी बहुमत बन सकता है और बहुमत कभी अल्पमत भी हो सकता है। लेकिन समाज का बहुमन जब अल्पमन बनने लगे, उसका उदार मन जब संकीर्ण मन बनने लगे तो इसके साथ आने वाले खतरों के प्रति खुद को भी सचेत हो जाना चाहिए और दूसरों को भी इसके प्रति सजग बनाना अपना कर्तव्य मानना चाहिए।”
गांधीवादियों ने कहा है, “सबका साथ और सबको साथ लेकर चलने की बातें कही गई थीं। मिली-जुली सरकारों के बदले स्थायी, सशक्त, स्थिर सरकार की बातें हुई थीं। पर आज लगता है कि स्थिर सरकार समाज में अस्थिरता फैलाने वालों को छूट दे रही है।”
बयान में कहा गया है, “समाज जिन शाश्वत मूल्यों, उदारता, सहिष्णुता, संवेदनशीलता को लेकर चलता है, उन सबका साथ छुड़वाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। हिन्दू धर्म के नाम पर एक नया ही धर्म – असहिष्णुता का धर्म – सामने रखा जा रहा है और इसी नए धर्म में लोगों को ‘घर वापसी’ के नाम पर लाने की कोशिश हो रही है।”
मेरठ में सांप्रदायिकता के खिलाफ हाल में हुई 40 गांवों की सभा का जिक्र करते हुए बयान में कहा गया है, “मेरठ के पास हुई 40 गांवों की महासभा का निर्णय हम सबके सामने है। हमारा देश बहुत बड़ा है, बहुत बड़े मन का है। समय-समय पर इसके ऊपर कई तरह के हमले हुए हैं, कई तरह के संकट आए हैं, पर इसने उन सबको संभाला और संकीर्णता की उस आंधी में अपने पैर नहीं उखड़ने दिए, जिसने हमारे पड़ोसी देशों और दुनिया के अन्य देशों को तहस-नहस कर दिया है।”
बयान में अंत में कहा गया है, “सहिष्णुता की यह महासभा ही हम सब हिन्दुओं, मुसलमानों, सिख, ईसाइयों, बौद्धों की धरोहर है। हम अपना संकल्प दोहराते हैं कि यही हमारा घर है। इसे छोड़ कर किसी और घर नहीं जाने वाले।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।