जबलपुर, 15 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत जिला पंचायत सदस्यों के लिए प्रथम चरण में हुए मतदान की मतगणना पर उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और आलोक अराधे की युगलपीठ ने रोक लगा दी है। प्रथम चरण की मतगणना शुक्रवार 16 जनवरी को होने वाली थी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनुराग मोदी सहित एक अन्य की तरफ से दायर की गई जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य चुनाव आयोग ने तीन चरणों में जिला पंचायत का चुनाव करवा रहा है। इसी प्रकार तीन चरणों की मतगणना की तारीख तय की है। जिला पंचायत एक ही संस्था है और अलग-अलग तीन चरणों में मतगणना होने के कारण मतदाता प्रभावित होगा।
याचिकाकर्ता के वकील राघवेंद्र कुमार ने यह दलील पेश की थी कि राज्य चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती के मामले में अपनी मनमर्जी का कार्यक्रम बनाया है। एक ही जिले की जिला पंचायत के लिए तीन चरणों में गिनती हो रही है, जिसके चलते पहले चरण के चुनाव परिणाम दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगी।
प्रदेश के 51 में से 34 जिलों में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं और उनकी मतगणना तीन चरणों में हो वोटों की गिनती क्रमश: 16 जनवरी, 4 फरवरी और 22 फरवरी को होकर उनके चुनाव परिणाम क्रमश: 17 जनवरी, 5 फरवरी और 23 फरवरी को घोषित होना है।
याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग की तरफ से दलील दी गई कि पंचायत चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं होते हैं, इसके चलते अलग-अलग तिथियों में चुनाव परिणाम घोषित होने से चुनाव परिणाम प्रभावित नहीं होंगे और उच्च न्यायालय चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं कर सकता।
युगलपीठ ने चुनाव आयोग की दलील को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अशोक कुमार विरुद्ध भारतीय चुनाव आयोग के मामलें में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए चुनाव के कार्यक्रम को प्रभावित किए बिना देश के संवैधानिक न्यायालय अपने आदेश के जरिए दखल कर सकते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।