नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को अपने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया था कि ‘उलरिक मैकनाइट भले ही अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन वह राहुल गांधी के सामाजिक गिरोह के एक सदस्य हैं।’
मैकनाइट बैकॉप्स में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के व्यापारिक साझेदार थे। ब्रिटेन स्थित इस कंपनी को दोनों ने खोला था और 2009 में यह कंपनी बंद हो गई। यह इस लिहाज से एक संकटपूर्ण रिश्ता रहा कि इसी के कारण राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता का विवाद कंपनी के निगमीकरण के दौरान पैदा हुआ था। निगमीकरण के दस्तावेजों में राहुल गांधी को एक ब्रिटिश नागरिकता बताया गया था।
यह कहना कठिन है कि मैकनाइट कांग्रेस अध्यक्ष के ‘सामाजिक गिरोह’ का हिस्सा हैं या नहीं, लेकिन दोनों के बीच का संबंध महज पूर्व कारोबारी साझेदार तक सीमित नहीं है।
यह संबध वास्तव में बिल्कुल सीधा-सा है। मैकनाइट पूर्व केंद्रीय मंत्री, गोवा के जाने-माने नेता और कांग्रेस के वफादार एडुआडरे फलेरियो के दामाद हैं। मैकनाइट की पत्नी व पूर्व मंत्री की बेटी सोनिया फलेरियो लंदन में रहने वाली एक लेखिका हैं। उनकी पहली किताब ‘ब्यूटीफुल थिंग : इनसाइड द सीक्रेट वल्र्ड ऑफ बॉम्बेज डांस बार्स’ को अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।
एक परिवार के रूप में, फलेरियो और अब मैकनाइट ने कभी भी कांग्रेस के प्रथम परिवार के साथ अपने करीबी संबंधों का खुलासा करने में शर्म नहीं किया। उन्होंने अपनी बेटी का नाम इंदिरा फ्रेया मैकनाइट रखा।
मैकनाइट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की नजर में सिर्फ बैकॉप्स मामले और राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे को लेकर ही नहीं आए हैं, बल्कि कहानी इसके आगे भी है। मैकनाइट का संबंध भारत को छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की आपूर्ति से भी जुड़ा रहा। जिस रक्षा कंपनी के साथ इस आपूर्ति के लिए 20,000 करोड़ रुपये का करार किया गया था, उस कंपनी से मैकनाइट जुड़े हुए थे।
रक्षा सौदा करने वाली इन कंपनियों के बारे में कहा गया कि इन्होंने रिश्वतखोरी से पैसे बनाए।
हालांकि, फलेरियो-मैकनाइट स्पष्ट रूप से एक साधारण, मगर सुखद जीवन जीते हैं। सोनिया फलेरियो की कुछ तस्वीरें, जो उनके साक्षात्कारों के साथ प्रकाशित हुईं, उनमें एक दिल को छू लेने वाली क्रेडिटलाइन है : उलरिक मैकनाइट।
किताब ‘ब्यूटीफुल थिंग्स : इनसाइड..’ के प्रकाशन के बाद एक साक्षात्कार में उन्होंने पति के साथ अपनी जिंदगी के बारे में बात की थी।
2012 में नोए वैली (सैन फ्रांसिस्को) के एक स्थानीय प्रकाशन को सोनिया फलेरियो ने बताया था, “मैं गोवा में पैदा हुई, दिल्ली और बम्बई (मुंबई) में रही, एडिनबर्ग में पढ़ाई की और तीन साल पहले बे एरिया से अच्छी तरह से वाकिफ हूं। वह एल्बनी से हैं। हम भारत में मिले, वहां कई साल तक रहे। और तीन साल पहले फैसला किया कि हम नए रोमांस के लिए तैयार हैं। तब हम शिफ्ट कर गए।”
उन्होंेने कहा, “इससे पहले सैन फ्रांसिस्को मैं बस एक बार बुक टूर के सिलसिले में आई थी। तो, मुझे इसके अलग-अलग मुहल्लों का पता नहीं था। मेरे पति उलरिक ने नोए को इसलिए याद किया, क्योंकि वह स्टैनफोर्ड में छात्र होने के दौरान ब्लिस बार आए थे। एक दोस्त ने नोए का सुझाव दिया और जब हमने इसे देखा तो हमें यह बहुत प्यारा लगा। हम परिवारों और बच्चों, कुत्तों, नोए वैली बेकरी की खूशबू, मित्रता पसंद करते हैं।”
हालांकि, भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी, जो राहुल गांधी के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज होते देखना चाहते हैं, उन्होंने हाल ही में ट्वीट किया था, “एक और मामला बैम्बिनो (स्वामी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए इस नाम का इस्तेमाल करते हैं) का इंतजार कर रहा है : ईडी बर्कले में एक अवैध बैंक खाता संचालित करने के लिए फेरा (अब मौजूद नहीं) और धनशोधन का मामला दर्ज करे। संभवत: एडुआडरे फलेरियो के दामाद के साथ मिलकर बैकॉप्स के जरिए स्कॉर्पीन पनडुब्बी मामले में की गई रिश्वतखोरी के पैसे के शोधन के लिए। वित्त मंत्रालय को यह मामला बंद नहीं करना चाहिए।”
जेटली ने बैकॉप्स पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा, “इस बैकॉप्स का क्या मतलब था? कि एक बैक ऑफिस होगा और आपकी मदद करेगा?”
इस बीच, एडुआडरे फलेरो को 78 साल की उम्र में भी नहीं भुलाया गया है। वह बीमार हैं और सक्रिय राजनीति में नहीं हैं। वर्तमान लोकसभा चुनाव के लिए, उन्हें गोवा घोषणा-पत्र समिति में नामित किया गया।