कुआलालंपुर (मलेशिया), 4 मई (आईएएनएस)। रिलायंस स्पोटर्स के सीईओ सुंदर रमन ने कहा कि पिछले कुछ समय में विभिन्न विदेशी क्लबों को भारतीय बाजार को लेकर अपनी सोच बदलने की जरूरत महसूस हुई और अब वे केवल दर्शकों की संख्या बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि देश में युवा खिलाड़ियों को बेहतर करने पर भी ध्यान दे रहे हैं।
रमन यहां वर्ल्ड फुटबाल समिट (डब्ल्यूएफएस) एशिया 2019 में बोल रहे थे। उन्होंने भारतीय फुटबाल के पिछड़ने के कारणों पर प्रकाश डाला।
‘गोल डॉट कॉम’ ने रमन के हवाले से बताया, “मैं समझता हूं कि भारत में सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसा सिस्टम बनाने की रही है जिससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अगले स्तर तक पहुंचाया जाए। जमीनी स्तर पर स्थिति उतनी बेहतर नहीं रही है और विश्व के इस हिस्से में फुटबाल को इसकी जरूरत है।”
रमन ने कहा, “क्रिकेट ने पिछले कुछ समय में यह दर्शाया है कि भारतीय बाजार में एक प्रमुख खेल बनने के लिए आपको बाजार में उस खेल की क्षमता को दर्शाना होगा। लेकिन मूलभूत सुविधाओं, संरचित कोचिंग और एक सही मार्ग के न होने से फिलहाल, वह क्षमता लगातार नीचे गई है। भारत में फुटबाल 1880 के दशक से खेला जा रहा है, इतने लंबे समय में हम रास्ता भटक गए और अन्य खेलों ने हमारी जगह ले ली। अब समय फुटबाल को आगे बढ़ाने का है और यह काम आने वाले समय में होना चाहिए।”
उन्होंने क्रिकेट का उदाहरण किया कि कैसे यह खेले भारत में छाया हुआ है।
रमन ने कहा, “क्रिकेट में प्रायोजक से पैसा आता है, लेकिन फुटबाल में ऐसा नहीं होता। क्रिकेट बहुत निचले स्तर से विकास पर ध्यान देता है और यह खेल हमेशा से आगे रहा है। यह खेल शुरुआत में ही युवाओं को आकर्षित करता है और उन्हें आगे का रास्ता दिखाता है। अगर मैं आज भारत में फुटबाल खेलने के बारे में सोचूं तो मुझे महसूस होगा कि मैं बड़ा होकर क्या करूंगा? क्या मैं किसी टीम के लिए पेशेवर खिलाड़ी के रूप में खेल सकता हूं? यह आर्थिक और जीवनशैली से जुड़ी चुनौतियां अहम हैं। क्रिकेट ने एक जमीनी स्तर का विकास किया है और यह दर्शाया कि आप जिस खेल से प्यार करते हैं उससे अपना जीवन व्यापन भी कर सकते हैं।”
उन्होंने यह भी माना कि विभिन्न विदेशी क्लबों को भारतीय बाजार को लेकर अपनी सोच भी बदली है।
रमन ने कहा, “इंग्लिश प्रीमियर लीग, ला-लीगा (स्पेनिश लीग) और बुदंसलीगा (जर्मन लीग) समेत अन्य मुख्य लीगों ने अब इसपर ध्यान देना शुरू कर दिया है कि वह बाजार से क्या ले सकते हैं। आपको बाजार से लेने के लिए उसे कुछ देना होगा। आप बाजार में आकर सिर्फ मुनाफा नहीं ले सकते, वे दिन चले गए, चाहे लीग स्तर हो या क्लब स्तर। विदेशी क्लबों को समझ आ गया है कि उन्हें बाजार में अपना कुछ योगदान देना होगा।”