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मनाली के 10 गांवों में 42 दिन कोई नहीं करता शोर

मनाली (हिमाचल प्रदेश), 15 जनवरी (आईएएनएस)। यहां की लोक मान्यता है कि देवी-देवता स्वर्ग में लौट गए हैं और ध्यान मग्न हैं, इसीलिए शोर नहीं करना है।

मनाली (हिमाचल प्रदेश), 15 जनवरी (आईएएनएस)। यहां की लोक मान्यता है कि देवी-देवता स्वर्ग में लौट गए हैं और ध्यान मग्न हैं, इसीलिए शोर नहीं करना है।

राज्य की राजधानी शिमला से 250 किलोमीटर दूर मनोहर पर्यटन स्थल मनाली के बाहरी इलाके में स्थित 10 गांव के लोग साल के इस समय में किसी को भी शोर करने की इजाजत देते। वे स्वयं गाने सुनना बंद कर देते हैं, टीवी देखना और यहां तक कि घर के वे काम करना भी बंद कर देते हैं जिनसे शोर होता है। उनका मानना है कि इससे ध्यान मग्न देवी-देवताओं को परेशानी होगी।

अगर ऐसा होता है तो उन्हें भगवान के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

कुल्लू जिले में मनाली के बाहरी इलाके में स्थित गोशाल और नौ अन्य गांवों में हर साल हर वह काम रोक दिया जाता है जिससे शोर होता है। यह सिलसिला मकर संक्रांति (14 जनवरी) से 42 दिनों तक जारी रहता है।

मंदिर के पुजारी हरि सिंह ने आईएएनएस को बताया, “सभी देवी-देवता स्वर्ग में लौट गए हैं। वे ध्यान मग्न हैं। 42 दिनों के विराम से जब तक वे वापस नहीं आ जाते, तब तक ऐसे किसी भी कार्य की अनुमति नहीं होगी जिससे शोर होता हो।”

उन्होंने कहा कि अगर देवी-देवताओं के ध्यान में खलल पहुंचा तो इससे मनुष्यों और पशुओं के लिए दुर्भाग्य आएगा।

मनाली के ऊपरी इलाके से चार किलोमीटर दूर स्थित गोशाल गांव में गौतम ऋषि, वेद व्यास ऋषि और नाग देवता कंचन नाग का मंदिर स्थित है। मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल यह जनता के लिए बंद कर दिया जाता है।

किंवदंती है कि मुख्य देवता ऋषि गौतम जहां पर ध्यान करते थे उसी स्थान पर आज मंदिर स्थित है।

42 दिनों के विराम के बाद जैसी ही देवी-देवता वापस लौटेंगे, मंदिर को दोबारा से खोल दिया जाएगा। इस अवधि के दौरान मंदिर में किसी भी धार्मिक समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा।

परंपरा के मुताबिक, स्थानीय लोग अपनी नियमित गतिविधियों को तभी शुरू करेंगे जब देवी-देवता स्वर्ग से वापस आ जाएंगे। यहां तक कि यहां पर पर्यटकों को भी शांत रहने के लिए कहा जाता है।

गोशाल गांव के रहने वाले जय राम ठाकुर ने कहा, “हम बिल्कुल शांति का ध्यान रखते हैं। हम गाने सुनना और टीवी देखना बंद कर देते हैं। मोबाइल फोन को भी हम साइलेंट मोड पर कर देते हैं।”

परंपराओं के अनुसार, मंदिर को बंद करने से पहले उसमें कीचड़ फैला दिया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि 42 दिनों बाद जब मंदिर दोबारा से खोला जाएगा और कीचड़ की सतह पर एक फूल खिला हुआ मिलेगा। यह गांव वालों के लिए समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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