कोलंबो, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। श्रीलंका में ईस्टर रविवार के दिन गिरजाघरों और लक्जरी होटलों में की गई आत्मघाती बमबारी के बाद द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को खतरा पैदा हो गया है, जो काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है।
यह देश अपने मौलिक समुद्र तटों, चाय बागानों और घने जंगलों के साथ दक्षिण एशिया के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है।
लोगों ने अब कहना शुरू कर दिया है कि ‘इन हमलों ने कैसे उनके भविष्य को प्रभावित कर दिया है, क्योंकि आगुंतकों में अनिश्चितता व्याप्त है और अब वे इस देश को सुरक्षित स्थान के रूप में नहीं देखते।’
फ्रांस के पर्यटक जीन-मार्क एन अपनी पत्नी के साथ कोलंबो उसी दिन पहुंचे थे, जिस दिन हमले हुए। उन्होंने समाचार एजेंसी एफे न्यूज को बताया, “एक भी आदमी नहीं दिखा, ना ही एक भी कार दिखी है। केवल सैनिक दिख रहे हैं। यह दर्द में डूबा शहर है। हमें यह भुतहा शहर लग रहा है, जहां के निवासी डर में हैं।”
उन्होंने कहा कि उस दोपहर शहर पूरी तरह से निर्जन था। कर्फ्यू लगा था, इसलिए कोई दिख नहीं रहा था, जबकि हम जानते थे कि कोलंबो जीवन से भरपूर है।
प्रधानमंत्री रानिल बिक्रमसिंघे ने एक प्रेस वार्ता में यह पूछे जाने पर कि हमलों का आर्थिक असर क्या होगा, कहा, “इसका असर खासतौर से पर्यटन पर होगा। हम मामले को देख रहे हैं। पर्यटकों की संख्या गिर सकती है।”
उन्होंने कहा कि कुछ पर्यटक लौट गए हैं, जो कि समझ में आता है। लेकिन साथ ही रेखांकित किया कि पर्यटन उद्योग सुचारू रूप से चल रहा है।
पर्यटन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष किशु गोम्स ने कहा कि हमलों के सेवा क्षेत्र पर पड़ने वाले असर के बारे में अभी अनुमान लगाना काफी जल्दबाजी होगी।
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म कौंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन और सेवा क्षेत्र का योगदान 12.5 फीसदी है। देश की आबादी 2 करोड़ से थोड़ी अधिक है। इनमें से 10 लाख लोगों को पर्यटन और सेवा क्षेत्र से रोजगार मिलता है।