नई दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) दिवालिया मामला के समाधान की अंतिम तिथि 6 मई नजदीक आ रही है। वहीं, इस कर्ज से लदी कंपनी के अधिग्रहण की लड़ाई और तेज हो गई है, क्योंकि एनबीसीसी ने 24 अप्रैल को नई बोली दाखिल की है, जबकि अदाणी समूह भी बोली लगा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, कर्जदारों की समिति (सीओसी) ने अदाणी इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपर्स को उनकी बोली 24 अप्रैल तक दाखिल करने को कहा है, क्योंकि समिति सबसे बेहतर बोली का चयन 30 अप्रैल करेगी।
सूत्रों के मुताबिक, एनबीसीसी ने पहले जो बोली लगाई थी, वह एक अन्य बोलीदाता सुरक्षा से कम होने के बाद, एनबीसीसी के निदेशक मंडल 23 अप्रैल को बैठक करेगी और सीओसी के समक्ष 24 अप्रैल को नई बोली दाखिल करने को मंजूरी देगी।
वहीं, 15 अप्रैल को दाखिल किए लेटर ऑफ इंटेट में अदाणी इंफ्रास्ट्रकचर एंड डेवलपर्स ने सीओसी से आग्रह किया था कि वह उसे 27 अप्रैल तक समाधान योजना प्रस्तुत करने की अनुमति दे। कंपनी ने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की जो समाधान योजना पहले प्रस्तुत की थी, वह असफल रही थी।
इस दौरान, कंपनी का स्वामित्व अपने पास रखने के लिए बोली लगाते हुए जेआईएल के प्रमोटरों – जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेएएल) ने शुक्रवार को यह प्रस्ताव रखा था कि अगर घर खरीदार बाकी की रकम का भुगतान कर देते हैं, तो वह चार सालों में परियोजना को पूरा कर देगी, लेकिन इस प्रस्ताव के स्वीकार करने की संभावना कम ही है।
जेपी समूह के अध्यक्ष मनोज गौर घर बनाकर देने में देरी के लिए घर खरीदारों से माफी मांगी और कहा कि वे इसमें 1,500 करोड़ रुपये और लगाएंगे और परियोजना को पूरा करेंगे, जबकि घर खरीदारों द्वारा बाकी बचे 3,400 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है।
जेआईएल के घर खरीदारों और घर खरीदारों के एसोसिएसन के सदस्य संजीव साहनी ने आईएएनएस को बताया, “घर खरीदारों को उन्होंने कहा है कि उनके बाद 2,700 करोड़ रुपये की बिना बिकी संपत्ति हैं, जिसे बेचकर वे धन जुटाएंगे। उन्होंने कहा कि घर खरीदारों से 3,400 करोड़ रुपये की रकम जुटने की उम्मीद है और इसमें से 1,175 करोड़ रुपये प्लॉट की बिक्री से मिलेंगे। इसके बाद वे घर बनाकर देंगे।”
उन्होंने कहा, “उनको यह अहसास नहीं है कि घर खरीदार अब 10 रुपये भी उनको नहीं देंगे, जब तक कि घर का पजेशन नहीं दिया जाता।”
हालांकि जयप्रकाश एसोसिएट के समाधान बोली को प्रक्रिया में दाखिल नहीं किया गया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कर्जदाता उनके पक्ष में हैं, क्योंकि गौर ने उनसे वादा किया है कि कर्ज की रकम में किसी प्रकार की छूट वे नहीं मांगेंगे और सभी बकाए का पूरी तरह से भुगतान करेंगे।
साहनी ने कहा, “बैंक द्वारा जेएएल की मदद करने की संभावना है, जबकि घर खरीदार चाहतें हैं कि एनबीसीसी कंपनी को खरीद ले।”
घर खरीदारों को उम्मीद है कि 30 अप्रैल तक कर्जदाता कोई फैसला ले लेंगे कि कौन सी कंपनी घर बनाकर खरीदारों को देगी।