शिमोगा(कर्नाटक), 21 अप्रैल (आईएएनएस)। कर्नाटक के मलनाड क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में प्रतिष्ठित शिमोगा सीट पर आमने-सामने होंगे।
शिमोगा सीट वर्ष 2004 से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ रही है। दक्षिणपंथी दल ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे और अभी यहां से सांसद बी.वाई. राघवेंद्र को फिर से पांचवीं बार इस सीट से मैदान में उतारा है।
राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जनता दल(सेकुलर) ने संयुक्त रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एस. बंगारप्पा (1933-2011) के बेटे मधु बंगारप्पा को अपना उम्मीदवार बनाया है।
जद (एस) उम्मीदवार मधु को नवंबर 2018 के उपचुनाव में राघवेंद्र ने 14.3 लाख मतदाताओं वाले निर्वाचन क्षेत्र में 52,148 वोटों से हराया था।
मई 2018 में शिकारीपुरा विधानसभा सीट से जीत कर येदियुरप्पा ने राज्य की राजनीति में वापसी की और शिमोगा लोकसभा सीट से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए गए थे।
असल में, राघवेंद्र ने वर्ष 2009 में त्रिकोणीय मुकाबले में इसी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार मधु बंगारप्पा के पिता एस. बंगारप्पा के खिलाफ 52,893 वोटों से जीत दर्ज की थी।
विडंबना यह है कि बंगारप्पा ने 2004 में भाजपा के टिकट पर यह सीट जीती थी और वर्ष 2005 के उपचुनाव में वह समाजवादी पार्टी के टिकट से लड़े और जीत गए।
2013 में भाजपा के विधानसभा चुनाव हारने के बाद येदियुरप्पा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वी. मंजूनाथ भंडारी को 3.63 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
येदियुरप्पा के गृह क्षेत्र के रूप में शिमोगा संसदीय सीट भाजपा का गढ़ रही है, जहां से भगवा पार्टी ने मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में आठ में से सात विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने आईएएनएस को बताया “सीधे मुकाबले में भी राघवेंद्र की जीत की संभावना अधिक है। क्योंकि वह बूथ-स्तर पर काफी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं और साथ ही उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन प्राप्त है।”
हालांकि भाजपा 225 सीटों वाली विधानसभा में 104 सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन फिर भी बहुमत से नौ सीटें कम होने के कारण 19 मई को येदियुरप्पा सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।
विश्लेषक ने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनाव के बाद जद (एस) और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन से मलनाड क्षेत्र के मतदाताओं को ऐसा लगा कि लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता को सरकार बनाने से रोका गया।
जद (एस) दो उपचुनावों सहित कुल 18 लोकसभा चुनावों में शिमोगा में कभी जीत दर्ज नहीं करा सका है। ऐसे में वह एक संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मधु की जीत को लेकर कांग्रेस पर निर्भर है कि वह अपने वोट मधु को दिला सकती है।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि सभी सेकुलर वोट हमारे संयुक्त उम्मीदवार मधु बंगारप्पा को मिलेंगे, जिससे वह छोटे अंतर से हुई अपनी उपचुनाव की हार का बदला ले सकेंगे।
भाजपा भी प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के चलते बड़े अंतर से जीत का दावा कर रही है। राज्य के नेताओं का मानना है कि जनता की सहानुभूति भाजपा के राघवेंद्र के साथ है, क्योंकि उनके पिता को जीत के बाद भी राज्य में सरकार बनाने से रोक दिया गया था।
शिमोगा में भारतीय जनता पार्टी सीट बचा पाएगी या इसे कांग्रेस जीत लेगी, यह तस्वीर 23 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद साफ होगी।