बीजिंग, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। चीन ने शुक्रवार को कहा कि 25 से 27 अप्रैल के बीच होने वाले दूसरे बेल्ट एवं रोड फोरम में भारत की अनुपस्थिति से दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दोनों देश इस वर्ष अपने नेताओं के बीच वुहान जैसे सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं।
बीजिंग, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। चीन ने शुक्रवार को कहा कि 25 से 27 अप्रैल के बीच होने वाले दूसरे बेल्ट एवं रोड फोरम में भारत की अनुपस्थिति से दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दोनों देश इस वर्ष अपने नेताओं के बीच वुहान जैसे सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं।
समारोह से पहले एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए चीन के शीर्ष कूटनीतिज्ञ और विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए।
भारत लगातार दूसरे वर्ष चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे(सीपीईसी) के विरोध में इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
वर्ष 2017 में भी, भारत ने सीपीईसी के विरोध में बेल्ट एवं रोड फोरम के लांच का बहिष्कार किया था। तब नई दिल्ली ने कहा था कि ‘कोई भी देश एक ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के उसकी प्रमुख चिंताओं को नजरअंदाज करता है।’
इस वर्ष भी भारत चीन के इस समारोह में शामिल नहीं होगा। इस फोरम में पाकिस्तान, नेपाल सहित 37 देशों के नेता या राष्ट्राध्यक्ष और 150 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
वांग ने कहा, “हमारे बीच मतभेद होना स्वभाविक है। यह केवल स्वभाविक है। मैं याद करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिक्र किया था कि हमें हमारे मतभेदों को विवाद में तब्दील नहीं होने देना चाहिए। भारतीय पक्ष मतभेदों को एक उचित स्तर पर ही रखना चाहता है, ताकि हमारे संबंधों के समुचित विकास में किसी तरह की समस्या न आए।”
विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बीते वर्ष वुहान में हुई सफल बैठक के बाद समारोह में भारत की अनुपस्थिति का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा? यी ने कहा, “बुनियादी मतभेदों में से एक यह है कि कैसे बेल्ट और रोड पहल को देखा जाए। भारतीय पक्ष की अपनी चिंताएं हैं।”
उन्होंने कहा, “हम समझते हैं और इसलिए हम कई अवसरों पर स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि बेल्ट और रोड पहल समेत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा केवल आर्थिक पहल है।”
उन्होंने कहा, “यह किसी तीसरे देश पर निशाना नहीं साधता है और इस पहल का दोनों देशों के बीच इतिहास की वजह से पैदा हुई संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे से कुछ लेना देना नहीं है। निश्चित ही, भारत का इन विवादों पर बुनियादी पक्ष है। हमारा सहयोग उन मुद्दों पर किसी भी पक्ष केरुख को कमजोर नहीं करेगा।”
वांग ने यह भी कहा कि भारत और चीन इस वर्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच अगली बैठक की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “दोनों नेताओं(मोदी और शी) के बीच वुहान में बहुत सफल बैठक हुई थी। बैठक ने नेतृत्व के बीच आपसी विश्वास स्थापित किया था और दोनों ने चीन-भारत संबंधों की मजबूती और भविष्य की बेहतरी के लिए संयुक्त रूप से योजना बनाई थी।”
वांग ने कहा, “वुहान सम्मेलन के बाद हमने देखा कि दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में सहयोग में बढ़ोतरी हुई है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-चीन संबंधों की ‘उज्ज्वल संभावना’ है, जोकि हमारे नेताओं की अगली बैठक में परिलक्षित होगी।