नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम के मुख्य कोच मोहम्मद अली कमर का मानना है कि एशियाई चैम्पियनशिप के लिए चुनी गई टीम में मैरी कॉम का न होना अन्य मुक्केबाजों को अपनी उपयोगिता साबित करने का मौका देगा।
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम के मुख्य कोच मोहम्मद अली कमर का मानना है कि एशियाई चैम्पियनशिप के लिए चुनी गई टीम में मैरी कॉम का न होना अन्य मुक्केबाजों को अपनी उपयोगिता साबित करने का मौका देगा।
महिला टीम टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए अगले सप्ताह बैंकॉक के लिए रवाना होगी।
आईएएनएस से खास बातचीत में कमार ने कहा, “हमने 2017 में हुई एशियाई चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक जीते थे। इस बार हम अगर बेहतर नहीं कर पाए तो कम से कम उसकी बराबरी तो जरूर करेंगे।”
मैरी कॉम ने ही 2017 में भारत को एकमात्र स्वर्ण पदक दिलवाया था।
कमर ने कहा, “मैरी का न होना निश्चित रूप से एक बड़ा झटका है। वह वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 51 किलोग्राम वर्ग में भाग लेगी और उसकी तैयारी के लिए उन्होंने इस टूर्नामेंट भाग न लेने का निर्णय लिया। हालांकि, हमारे पास युवा मुक्केबाज भी हैं जो भारत का परचम लहरा सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “यह ध्यान रखिए कि एशियाई चैम्पियनशिप (16 से 27 अप्रैल) बहुत मुश्किल होने वाली है..वहां शीर्ष स्तर के मुक्केबाज हिस्सा लेंगे। अगर हम वहां अच्छा करते हैं तो वर्ल्ड चैम्पियनशिप में हमारे खिलाड़ी बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ भाग लेंगे।”
कमर अपने समय के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं। वह 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारत के मुक्केबाज बने थे। फिलहाल, वह भारतीय महिला टीम को बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं और भारत में मुक्केबाजी की गहराई को देखकर बहुत खुश हैं।
कोच ने कहा, “यदि भारत 48 या 68 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब होता है तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। भारतीय महिला मुक्केबाजी में अब बहुत गहराई है। हमारे समय में कुछ ही लड़कियां यह खेल खेलती थी। ओलम्पिक में महिला मुक्केबाजी के शामिल होने के बाद से यूरोपीयन समेत कई अन्य देश आगे आए हैं। क्यूबा कोई बड़ा नाम नहीं था, लेकिन अब ओलम्पिक में पांच कैटगरी और वे भी कोशिश करेंगे।”
कमर ने कहा, “भारत में बहुत बड़ा बदलाव आया है। पहले कुछ महिला मुक्केबाज ही राष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय तक खिताब जीतती रहती थीं, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। राष्ट्रीय कैम्प में भी आपको 50 के करीब महिला मुक्केबाज मिलेंगी। इसके अलावा, कई लड़कियां हैं जो भारत का प्रतिनिधित्व करने का माद्दा रखती हैं.शायद उनमें अनुभव की कमी होगा। प्रतियोगिता बहुत कठिन हो गई है।”