नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में यह कहते हुए एक हलफनामा दाखिल किया कि वह और उनके पुत्र अखिलेश व प्रतीक बेगुनाह हैं और उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है।
मुलायम ने कहा कि सीबीआई की प्राथमिक जांच में उनके और उनके पुत्रों के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया गया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में एजेंसी ने उन्हें प्रथमदृष्टया क्लीनचिट दे दी है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
पिछली सुनवाई के दौरान 25 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई को एक नोटिस जारी किया था और उसे निर्देश दिया था कि वह दो सप्ताह के भीतर जवाब दे कि क्या यादवों द्वारा कथित रूप से हासिल की गई आय से अधिक संपत्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी द्वारा फरवरी में दायर एक याचिका पर आया था, जिसमें यादवों के खिलाफ जांच पर एक स्थिति रपट की मांग की गई थी। चतुर्वेदी की याचिका में कहा गया था कि इस मामले में सीबीआई की प्राथमिक जांच 2007 से जारी थी, जो एक बहुत लंबी अवधि है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि सपा संस्थापक ने 1999 और 2005 के बीच अपने मुख्यमंत्रित्व काल में आय से अधिक 100 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल की थी।
चतुर्वेदी ने मुलायम, उनके बेटों अखिलेश यादव और प्रतीक यादव तथा बहू डिंपल यादव के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति कथित रूप से हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर 2005 में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने दिसंबर 2012 में मुलायम, उनके पुत्र और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ जांच करने, जबकि डिंपल के खिलाफ जांच वापस लेने का सीबीआई को निर्देश दिया।