नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के शुरू होने से चंद दिनों पहले विपक्षी दलों ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अगर 13.5 लाख ईवीएम की 50 फीसदी मशीनों से निकली वीवीपैट पर्चियों की गणना के कारण चुनाव नतीजों में देरी भी होती है तब भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
दलों ने शनिवार को अदालत में निर्वाचन आयोग (ईसी) के हलफनामे के जवाब में अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया दाखिल की। आयोग ने हलफनामे में दावा किया कि नतीजों में औसतन छह दिनों की देरी हो सकती है।
तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू नीत विपक्ष ने जवाब में कहा, “देश भर के 21 विभन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के नेताओं/अध्यक्षों द्वारा जनहित में यह याचिका दाखिल की गई थी। ये नेता भारत के 70 से 75 फीसदी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।”
नायडू के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं में के.सी. वेणुगोपाल, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार, डेरेक ओ ब्रायन, फारूक अब्दुल्ला, शरद यादव, अजीत सिंह, दानिश अली और मनोज झा शामिल हैं।
विपक्षी नेता चुनाव आयोग के लिए भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) द्वारा किए गए अध्ययन से आश्वस्त नहीं थे।
अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि पेपर पर्चियों की गितनी के लिए 13.5 लाख ईवीएम मशीनों से बेतरतीब ढंग से लिए गए 479 वीवीपैट्स से सटीक परिणाम आए, जो 99.99 प्रतिशत मतदाता विश्वास स्तर के अनुरूप है।
विपक्षी नेताओं का मत था कि यह अध्ययन मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि यह एक गलत धारणा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि संसदीय चुनाव पूरे भारत में 543 निर्वाचन क्षेत्रों और छह सप्ताह की अवधि में में हो रहा है, जबकि औचक चुनी गई 479 ईवीएम पूरी प्रक्रिया को सत्यापित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकतीं।
आईएसआई ने अपने अध्ययन में माना है कि इस नमूने का आकार ईवीएम की सर्वोत्कृष्टता को प्रमाणित करने के लिए बहुत ही छोटा है।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा, “जहां तक बात आम चुनाव के परिणाम घोषित करने में छह दिन के विलंब की है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है, बशर्ते यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को सुनिश्चित करती हो। अगर छह दिनों की देरी से चुनावी प्रक्रिया संतुलित होती है तो संतुलन निश्चित रूप से चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता की ओर झुकेगा।”
उन्होंने कहा, “हम चुनाव आयोग पर कोई भी रोक नहीं लगा रहे हैं .. हम केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया चाहते हैं।”