कूच बिहार, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जैसे नेता के साथ गठबंधन करने के लिए निशाना साधा और कहा कि बनर्जी ऐसे लोगों की सहायता कर रही हैं, ‘जो भारत में दो प्रधानमंत्री चाहते हैं।’
हाल ही में उमर ने जम्मू एवं कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री की वकालत की थी।
पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “वह अब ऐसे लोगों की मदद कर रही हैं, जो भारत में दो प्रधानमंत्री चाहते हैं। क्या देश में दो प्रधानमंत्री होने चाहिए? एक जम्मू एवं कश्मीर के लिए और दूसरा शेष भारत के लिए?”
उन्होंने कहा, “क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? दीदी, आपके साथी खुलकर दावा कर रहे हैं कि भारत के दो प्रधानमंत्री होने चाहिए।”
उन्होंने कहा, “राष्ट्र और बंगाल के लोगों को यह पता होना चाहिए कि इस मिट्टी के बेटे ने एक नेता, एक राष्ट्र और एक चिन्ह के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। उनका नाम था श्यामा प्रसाद मुखर्जी। दीदी, आप उनके साथ बैठी हैं? क्या यह बंगाल की मिट्टी, देश के बलिदान और शहीद जवानों का अपमान नहीं है?”
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो पर देश को टुकड़ों में बांटने वालों से हाथ मिलाने का अरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री को परवाह नहीं कि उनके फैसले से देश में हंगामा हो और अशांति फैले।
उन्होंने कहा, “मोदी के विरोध के मकसद से दीदी ऐसे लोगों से दोस्ती कर रही हैं। उन्हें परवाह नहीं कि इससे देश में हंगामा हो और अशांति फैले।”
मोदी ने आरोप लगाया, “मित्रों, दीदी पर आपने बहुत भरोसा दिखाया है लेकिन उन्होंने आपके विश्वास को तोड़ा है। चाची और भतीजे की सांठगांठ ने गुंडों, घुसपैठियों, मानव व पशु तस्करों और जबरन वसूली करने वालों के साथ इस महान भूमि को तबाह कर दिया है। दीदी और उनके साथियों ने लोगों की उम्मीदों व आकांक्षाओं पर ब्रेक लगा दिए हैं।”
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नारे ‘मां-माटी-मानुष’ पर तंज कसते हुए मोदी ने दावा किया कि वर्तमान राज्य सरकार ने अपने शासन के दौरान इन तीनों शब्दों का अपमान किया है।
उन्होंने कहा, “मां-माटी-मानुष सरकार के पीछे का सच कुछ और है। अपनी वोटबैंक की राजनीति के लिए दीदी ने भारत को टुकड़ों में बांटनों वालों के साथ हाथ मिला लिया है।”
मोदी ने कहा, “घुसपैठियों को आने की छूट देने से उन्होंने बंगाल की जमीन के साथ भी धोखा किया है और राज्य में उपद्रव के नियम की वकालत कर उन्होंने पश्चिम बंगाल के लोगों की सभी उम्मीदों को तोड़ दिया है।”