भोपाल। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने प्रदेश सरकार के बजट की ऑडिट रिपोर्ट में साफ जाहिर किया कि मप्र में वित्तीय कुप्रबंधन है। कई योजनाओं के लिए बजट को दरकिनार कर सीधे पैसा दे दिया गया। वहीं कैग ने सरकारी विभागों की इस बात पर खिंचाई भी की है कि उन्होंने उपयोग में नहीं आए पैसे को वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन सरेंडर क्यों किया? जबकि इस राशि का दूसरी जगह उपयोग हो सकता था।
आखिरी दिन क्यों वापस किया पैसा?
कैग ने सरकारी विभागों के वित्तीय प्रबंधन को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया है। कैग ने रिपोर्ट में उजागर किया है कि २,१३५ करोड़ रुपया वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन विभागों ने सरेंडर किया। यह वह पैसा था, जिसका विभाग उपयोग नहीं कर पाए थे। कैग ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि यह पैसा आखिरी दिन वापस कर विभागों ने इसके कहीं और उपयोग होने की संभावना भी खत्म की है।
पैसे के उपयोग की मॉनिटरिंग क्यों नहीं?
कैग ने अपनी रिपोर्ट में आपत्ति उठाते हुए कहा है कि ६,२३३ करोड़ रुपया सीधे प्रदेश की कई एजेंसियों को योजनाओं के संचालन के लिए दे दिया गया। लेकिन इस पैसे को बजट के जरिए नहीं दर्शाया गया। इसके साथ ही कैग ने इस बात पर भी आपत्ति जाहिर की है कि इस पैसे के उपयोग को जांचने के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था क्यों नहीं है।
पत्रिका से