नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)। आईएलएंडएफएस के विषाक्त बांडों में के लाखों निवेशकों के धन को बचाने के लिए अदलत सामने आई है। इन बांडों में सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन और भविष्य निधि की रकम फंस गई है।
नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)। आईएलएंडएफएस के विषाक्त बांडों में के लाखों निवेशकों के धन को बचाने के लिए अदलत सामने आई है। इन बांडों में सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन और भविष्य निधि की रकम फंस गई है।
पेंशन और भविष्य निधि की रकम का निवेश इन विषाक्त बांडों में संबंधित पेंशन व भविष्य निधि न्यासों द्वारा किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि आईएनएंडएफएस समाधान से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अभिकरण (एनसीएलएटी) ने अब दिवालिया कंपनी के नए प्रबंधन से ‘अंबर’ कंपनियों में पीएफ व पेंशन निधि निवेश का ब्योरा मांगा है।
कानून के जानकार बताते हैं कि इस कदम को पेंशन व पीएफ निवेश को बचाने की दिशा में अदालत की कोशिश के रूप में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अदालत का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि आईएलएंडएफएस की किसी समाधान योजना में पेंशन व पीएफ न्यास द्वारा किए गए निवेश को गंवाया न जाए और अंबर समूह की कंपनियों के लिए पुनर्भुगतान शुरू होने पर इनको प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
दरअसल, अंबर समूह की कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे सिर्फ संचालन भुगतान के दायित्वों को पूरा कर सकती हैं।
आईएलएंडएफएस बांडों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की कंपनियों के 15 लाख कर्मचारियों का हजारों करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। निवेश की इस रकम को असुरक्षित कर्ज के रूप में वगीकृत किया गया है। फंड को आशंका है कि अगर बाजार से संबंधित सारे जोखिम उनको उठाने पड़ेंगे तो उनको इस धन से हाथ धोना पड़ेगा।
समाधान योजना के तहत सरकार ने आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों को ‘ग्रीन’, ‘अंबर’ और ‘रेड’ श्रेणियों में वर्गीकृत किया है।
‘ग्रीन’ की श्रेणी में आने वाली कंपनियां अपने दायित्व की अदायगी करती रहेगी, जबकि ‘अंबर’ श्रेणी की कंपनियां सीनियर सिक्योर्ड फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के लिए सिर्फ संचालन संबंधी भुगतान दायित्व की पूर्ति कर सकती हैं।
वहीं ‘रेड’ श्रेणी की कंपनी अपने भुगतान दायित्व की पूर्ति बिल्कुल नहीं कर सकती हैं।