नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपना ‘हेल्थ मेनिफेस्टो’ जारी किया है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों से स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है। मेनिफेस्टो में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने, नीति निर्देश में बदलाव करने, चिकित्सा शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और चिकित्सा अनुसंधान में सुधार करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन ने कहा, “स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए पर्याप्त फंडिंग नहीं की जाती है और स्वास्थ्य सेवा में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 1.2 प्रतिशत की निराशाजनक दर पर है। हमारे देश में अन्य देशों की तुलना में लोगों को स्वास्थ्य पर जेब से अधिक खर्च करना पड़ता है और स्वास्थ्य पर खर्च के कारण हर साल 3.3 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिए जाते हैं। स्वास्थ्य सेवा के पूरे क्षेत्र को बेहतर बनाने और जेब से अधिक खर्च से निपटने के लिए जीडीपी को कम से कम 5 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।”
उन्होंेने कहा कि आईएमए जल्द ही उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और जनता के बीच मेनिफेस्टो का प्रचार करने के लिए एक देशव्यापी ‘हेल्थ फस्र्ट कंपेन’ शुरू करेगा। आईएमए की स्थानीय इकाइयां इस संबंध में सार्वजनिक बैठकें और सेमिनार आयोजित करेंगी, जिनमें लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
आईएमए के महासचिव डॉ. आर.वी. अशोकन ने कहा, “प्राथमिक और निवारक देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। स्वास्थ्य केंद्रों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और उन्हें एमबीबीएस स्नातकों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। एमबीबीएस डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार हैं और आईएमए प्राथमिक देखभाल केंद्रों को डॉक्टर उपलब्ध करा सकता है। प्राथमिक देखभाल के लिए एमबीबीएस स्नातकों की भर्ती के लिए रिक्रूटमेंट बोर्डस होने चाहिए।”
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सेन, स्वास्थ्य घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर, आईएमए राष्ट्रीय कार्रवाई समिति के अध्यक्ष डॉ. ए. माथंर्डा पिल्लई और महासचिव डॉ. अशोकन ने आईएमए के ‘हेल्थ फस्र्ट कंपेन’ के बारे में मीडिया को जानकारी दी।