Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी : क्राई | dharmpath.com

Saturday , 30 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » भारत » लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी : क्राई

लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी : क्राई

नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने से महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन मिलता है और महिला अधिकार सुनिश्चित किए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए प्रोत्साहन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी है। यह बात गैर सरकारी संगठन, क्राई द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आई है।

अध्ययन के दौरान 21 सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं की प्रभाविता का मूल्यांकन किया गया, जिसमें से 12 मौद्रिक और शेष गैर-मौद्रिक प्रोत्साहन योजनाएं हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शुक्रवार को जारी इस अध्ययन के अनुसार, बड़ी संख्या में योजनाएं लागू किए जाने के बावजूद, चार राज्यों (हरियाणा, बिहार, गुजरात और आन्ध्रप्रदेश) में 40 फीसदी अभिभावक इन योजनाओं के बारे में नहीं जानते हैं। इनमें हर 10 में से 9 अभिभावक आन्ध्रप्रदेश और हरियाणा से हैं।

क्राई की सीईओ पूजा मारवाह के अनुसार, “इससे पता चलता है कि लड़कियों की स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं के बावजूद इनके फायदे लड़कियों तक नहीं पहुंचते। योजनाओं के बारे में जानकारी एवं जागरूकता की कमी के चलते ज्यादातर लड़कियां इनसे लाभान्वित नहीं हो पातीं।”

अध्ययन के अनुसार, हालांकि बिहार में 74 फीसदी और गुजरात में 88 फीसदी अभिभावक लड़कियों की शिक्षा के संदर्भ में इन योजनाओं के बारे में जानते हैं, किंतु आन्ध्रप्रदेश में मात्र 20 फीसदी अभिभावक ही इन योजनाओं के बारे में जानते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि ‘मुख्यमंत्री साइकिल योजना’ और केन्द्र सरकार की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना चारों राज्यों के अभिभावकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

अध्ययन से पता चला है कि ज्यादातर मामलों में वितरण में देरी के चलते लड़कियां इन योजनाओं से लाभान्वित नहीं हो पातीं। इसके अलावा सख्त योग्यता मानदण्डों एवं नियमों-शर्तों तथा जटिल प्रक्रिया के चलते इन योजनाओं के फायदे लड़कियों और उनके परिवारों तक नहीं पहुंच पाते।

अध्ययन के अनुसार, लाभान्वित नहीं होने वाली ज्यादातर लड़कियां 11-14 वर्ष आयुवर्ग की हैं और निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग से ताल्लुक रखती हैं।

मारवाह ने कहा, “प्रोत्साहन योजनाओं को समय पर लागू किया जाना जरूरी है। नीतिगत प्रावधानों के माध्यम से योजनाओं की उपयोगिता बढ़ाना बेहद जरूरी है जैसे सुरक्षित परिवहन सुविधाएं, आरटीई के तहत प्रावधान; सामाजिक व्यवहार में बदलाव और लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए संचार को प्रोत्साहित करना, क्रैच सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाना आदि।”

अध्ययन रपट में कहा गया है कि देश में प्राथमिक स्तर पर स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या में सुधार हुआ है, लेकिन माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक पहुंचते-पहुंचते लड़कियों की स्कूली शिक्षा का बीच में ही छूट जाना आज भी एक बड़ी चुनौती है।

‘एजुकेटिंग द गर्ल चाइल्ड : रोल ऑफ इंसेटिवाइजेशन एंड अदर एनेबलर्स एंड डिसेबलर्स’ शीर्षक वाली रपट के अनुसार, स्कूल जाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भरता, लड़कियों की स्कूली शिक्षा जारी रहने में सबसे बड़ी बाधा (90 फीसदी) है। लगातार अनुपस्थिति (29 फीसदी) और स्कूल में महिला अध्यापक न होना (18 फीसदी) कुछ अन्य ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से लड़कियां अपनी स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ देती हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि बार-बार बीमार पड़ना (52 फीसदी) और घरेलू कामों में व्यस्तता (46 फीसदी) भी लड़कियों की शिक्षा में बड़ी बाधा है।

इसके अलावा बुनियादी सुविधाओं से जुड़े मुद्दे जैसे अच्छी सड़कों का अभाव, स्कूल जाने के लिए परिवहन सुविधाओं की कमी भी कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से लड़कियां स्कूली शिक्षा जारी नहीं रख पातीं।

अध्ययन के अनुसार, गुजरात और आन्ध्रप्रदेश में लड़कियों ने बताया कि स्कूल से दूरी तथा स्कूल पहुंचने के लिए परिवहन में आने वाली लागत उनकी स्कूली शिक्षा में बड़ी बाधा है।

रपट के अनुसार, हरियाणा, आन्ध्रप्रदेश और गुजरात में माहवारी एक मुख्य कारण है। स्कूल में जरूरी बुनियादी सुविधाएं न होने के कारण लड़कियां अपनी स्कूली शिक्षा जारी नहीं रख पातीं। हालांकि 87 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं, किंतु इन सभी शौचालयों में पानी और हाथ धोने की सुविधा नहीं है।

अध्ययन में चारों राज्यों में 1604 परिवारों के साथ 3000 से अधिक साक्षात्कार किए गए।

अध्ययन में पाया गया है कि स्कूल जाने की अपनी इच्छा (88 फीसदी) और परिवार की ओर से प्रेरणा (87 फीसदी) भी लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं। परिवार (94 फीसदी) और समुदाय (95 फीसदी) की ओर से कोई रोक-टोक न होना भी लड़कियों को स्कूली शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, 70 फीसदी स्कूली छात्राओं ने बताया कि उन्होंने सरकारी योजनाओं और विद्यालय से लाभ प्राप्त किया है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि लड़कियों की शिक्षा में अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। गुजरात (89 फीसदी) और आन्ध्रप्रदेश (98 फीसदी) में लड़कियों के अभिभावकों का मानना है कि लड़कियों की शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि बिहार (76 फीसदी) और हरियाणा (75 फीसदी) में यह प्रतिशत कम है।

हालांकि लड़कियांे की शिक्षा में आने वाली बाधाओं के रूप में लड़कियों की शादी (66 फीसदी), घरेलू काम (65 फीसदी) और शिक्षा की लागत (62 फीसदी) प्रमुख हैं, जिनकी वजह से वे पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं।

लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी : क्राई Reviewed by on . नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने से महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन मिलता है और महिला अधिकार सुनिश्चित किए जा सकते हैं। लेकिन इसके नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने से महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन मिलता है और महिला अधिकार सुनिश्चित किए जा सकते हैं। लेकिन इसके Rating:
scroll to top