नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। कांग्रेस ने सोमवार को पाकिस्तान के बालाकोट में मारे गए आतंकवादियों की वास्तविक संख्या को लेकर सवाल उठाए और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अभियान का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए हवाई हमले में आतंकवादियों की संख्या पर आधिकारिक संख्या अभी दी जानी है और एयर चीफ मार्शल बी.एस.धनोआ ने हताहतों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल किया कि क्या यह चुनावी चाल है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि किसने हताहतों की संख्या 300 से 350 बताई थी।
सिद्धू ने ट्वीट किया, “300 आतंकवादी मारे गए, हां या नहीं? इसका मकसद क्या था? क्या आतंकियों को मारने गए थे या पेड़ उखाड़ने? क्या यह चुनावी चाल थी?”
केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा द्वारा आईएएफ के हमले पर की गई टिप्पणी को टैग करते हुए उन्होंने कहा, “सेना का राजनीतिकरण बंद करें।”
अहलूवालिया ने दावा किया था कि पाकिस्तान के बालाकोट में आईएएफ का अभियान एक संदेश देने के लिए था, हत्या करने के लिए नहीं, जबकि येदियुरप्पा ने कहा था कि हवाई हमले से भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में 22 सीटें जीतने में मदद मिलेगी।
चिदंबरम ने श्रंखलाबद्ध ट्वीट में कहा, “वाइस एयर मार्शल ने हताहतों पर टिप्पणी से इनकार किया। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि नागरिक या सेना से कोई हताहत नहीं हुआ है। इसलिए किसने हताहतों की संख्या 300 से 350 बताई।”
चिदंबरम ने कहा, “एक नागरिक के तौर पर मैं अपनी सरकार पर विश्वास करने के लिए तैयार हूं। लेकिन अगर हम चाहते हैं कि दुनिया यकीन करे तो सरकार को प्रयास करने चाहिए, न कि विपक्ष की आलोचना करनी चाहिए।”
कांग्रेस के नेताओं की यह टिप्पणी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अभियान में 250 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे।
अहमदाबाद में एक सार्वजनिक सभा में गुजराती में अमित शाह ने कहा, “सरकार ने हवाई हमले को अंजाम दिया व 250 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया।”
आईएएफ प्रमुख धनोआ ने कोयंबटूर में मीडिया को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा कि भारतीय वायुसेना का काम लक्ष्य को निशाना बनाना था, हताहतों की गिनती करना नहीं।