तिरुवनंतपुरम, 10 जनवरी (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र के एक पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञ ने बताया कि केरल जैव विविधता संरक्षण से संबंधित ‘पारंपरिक संसाधनों के उपयोग और उससे होने वाले लाभ को साझा करने’ वाली नीति (एबीएस) अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। नॉर्वे में हाल ही में हुए संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले बालाकृष्ण पिशुपति यहां केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड (केएसबीबी) द्वारा तैयार एबीएस नीति के मसौदे को अंतिम स्वरूप देने आए थे।
पिशुपति ने आईएएनएस को ऑनलाइन दिए साक्षात्कार में कहा कि केरल ने जैव विविधता संरक्षण की दिशा में केरल की प्रगति सराहनीय है और भले इस नीति की अवधारणा काफी पुरानी है, लेकिन जैव विविधता के क्षेत्र में अभी यह काफी नई है।
पिशुपति राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
उन्होंने कहा, “आज हमारे देश में जैव विविधता (संरक्षण) अधिनियम बन चुका है और जहां तक एबीएस नीति की बात है तो राज्य खुद अपनी नीति तैयार कर सकते हैं। केएसबीबी जल्द ही एक संपूर्ण एबीएस नीति तैयार कर लेगा।”
केरल जीव-जंतु के मामले में काफी समृद्ध राज्य है और यह एबीएस नीति अन्य क्षेत्रों जैसे समुद्री खान-पान, बीज, मसाले, पौधरोपण में भी उपयोगी है।
केएसबीबी के मौजूदा अध्यक्ष ओमन वी. ओमन ने आईएएनएस से कहा कि उन्होंने इस संबंध में संबद्ध लोगों से पहले चरण की बातचीत शुरू कर दी है और आयुर्वेदिक औषधि निर्माता हमारी इस नीति को समझ चुके हैं।