कोलकाता-मैन बुकर प्राइज विजेता उपन्यास ‘लाइफ ऑफ पाई’ के कनाडाई लेखक यान मार्टेल को भारत विविधताओं से परिपूर्ण व आकर्षक लगता है जहां कथावाचन की उत्कृष्ट परंपरा है। वह कहते हैं कि यह देश उनकी भावी उपन्यासों की अच्छी पृष्ठभूमि हो सकती है।
मार्टेल ने पहली बार 1996 में भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की थी। उस समय वह दो किताबें लिख चुके थे।
मार्टेल ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि इस देश ने किस तरह मजहब के प्रति उनका नजरिया बदल दिया और वह अपने लेखन में पशु के प्रतीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हुए।
पिछले दिनों टाटा स्टील कोलकाता साहित्यिक सम्मेलन के सिलसिले में वे शहर में थे।
उन्होंने कहा, “भारत से मैं काफी प्रभावित हूं। मुझे भारत इतना भाया है कि मैं इसे अपने भावी उपन्यास की पृष्ठभूमि बनाना चाहता हूं।”
यान कहते हैं कि जब वह पहली बार भारत आए थे तो वह यहां की विविधता, जिंदादिली और जोश को देखकर काफी हैरान थे। उन्होंने कहा कि भविष्य में अपने किसी उपन्यास में वह भारत के ऊपर कुछ लिखने की चाह रखते हैं हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वह फिर कब यहां वापस आते हैं क्योंकि किसी जगह के ऊपर कुछ लिखने के लिए वहां के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
लेखक यान मार्टेल के उपन्यास ‘लाइफ ऑफ पाई’ की 13 लाख प्रतियां पूरी दुनिया में बिक चुकी हैं और साल 2012 में एंग ली द्वारा इस पर बनाई फिल्म को अकेडमी अवार्ड मिला।
मार्टेल ने कहा, “मेरे लिए भारत देवताओं और पशुओं का देश था। मैं कनाडा जैसे देश से आता हूं जहां बहुदेववाद नहीं है क्योंकि वह प्राय: सेक्यूलर देश है।” उन्होंने कहा कि मैं हिंदू पौराणिक गाथाओं में पशुओं की उपस्थिति से हैरान था।
इसने मुझे उन चीजों के बारे में सोचने के लिए बाध्य किया जिनके बारे में मैंने जीवन में कभी विचार ही नहीं किया था, मसलन धर्म और पशु।
उन्होंने कहा, “इसने मुझे उत्कृष्ट प्रतीकात्मकता के लिए पशुओं का उपयोग करने को प्रेरित किया। मेरे पहले के उपन्यासें में पशु महज छोटे पात्र होते थे, लेकिन पाई लिखते समय मैंने महसूस किया कि पशु सशक्त हो सकते हैं। हमें लगता है कि पशु बाल साहित्य जगत तक ही सीमित है लेकिन मेरे लिए उनका प्रतीकात्मक सामथ्र्य अनंत है। वे कथावचन का समृद्ध वाहक हैं।”
उपन्यास ‘लाइफ ऑफ पाई’ में बाघ, लकड़बग्घा और जेब्रा जैसे पशुओं का चित्रण किया गया है। मार्टेल के अगले उपन्यास ‘बीट्राइस एंड वर्जिल’ में बंदर और गधा कथानक के केंद्र में हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे व्यापक अर्थ में धर्म में आस्था है। यह वैसा ही है जैसे मैं ईश्वरीय शक्ति में विश्वास करता हूं। लेकिन अगर हम संगठित धर्म की बात करें तो कोई भी धर्म हो वह बेकार की बात है।”