गुवाहाटी, 9 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वोत्तर में विरोध से बेफिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराना है, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों को आश्वासन दिया कि वह सुनिश्चित करेंगे कि इस कानून से असम और इसके पड़ोसी राज्य को कोई नुकसान न पहुंचे।
प्रधानमंत्री गुवाहाटी के पास चांगसारी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। शुक्रवार को पूरे क्षेत्र में विभिन्न संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बीच उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। क्षेत्र में विभिन्न संगठनों ने मोदी को काले झंडे भी दिखाए।
उन्होंने कहा, “नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 असम या पूर्वोत्तर राज्यों के लिए नहीं है। यह पूरे देश के लिए है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में सताए गए अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के मद्देनजर विधेयक एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। विधेयक के पारित होने से यह सुनिश्चित होगा कि जो लोग विभाजन के दौरान बाहर रह गए थे और जो अपनी जिंदगी से ज्यादा भारत से प्यार करते हैं, वे देश में रह सकते हैं। उन लोगों को स्वीकारना भारत की जिम्मेदारी है।”
मोदी ने कहा, “मैं आपको यहां आश्वस्त करने आया हूं कि विधेयक से असम या क्षेत्र के किसी अन्य राज्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। विधेयक केवल उन सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा। सत्यापन के बिना नागरिकता देने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि असम और देश में कोई अवैध विदेशी न हो।
मोदी ने कहा, “हमारी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने का काम शुरू कर दिया है, जो पिछली सरकार ने नहीं किया था। हमारी सरकार भारत-बांग्लादेश सीमा को सील करने के लिए भी तेज गति से काम कर रही है।”
प्रधानमंत्री ने दिवंगत भूपेन हजारिका और गोपीनाथ बोरदोलोई को भारत रत्न देने में देरी के लिए विपक्षी दल को जिम्मेदार ठहराते हुए कांग्रेस पर हमला बोला।
उन्होंने कहा, “संगीत उस्ताद भूपेन हजारिका और गोपीनाथ बोरदोलोई भारत रत्न के योग्य थे, लेकिन पिछली सरकारों ने उन्हें सम्मानित करने में दशकों की देरी की। यह भाजपा सरकार ही है, जिसके कार्यकाल में असम के दोनों योग्य बेटों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि असली हीरो को भारत रत्न के रूप में मान्यता देने के लिए दशकों तक इंतजार क्यों करना पड़ा, जबकि कुछ को उनके जन्म के तुरंत बाद ही इस सम्मान का हकदार करार कर दिया गया।”
उन्होंने कहा कि असम में पिछली सरकारें 30 वर्ष से ज्यादा वक्त तक असम समझौते को लागू करने में भी विफल रहीं।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने असम समझौते के खंड छह को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है और मुझे विश्वास है कि समिति राज्य के लोगों की सभी आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होगी।”