गांधीनगर, 7 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों ने बुधवार को युवा प्रवासी भारतीय दिवस पर विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों से युवा प्रवासियों को रूबरू कराया। हर्षवर्धन ने कार्यक्रम के सत्र ‘भारत को मानो’ को संबोधित किया, जिसमें विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत के नवाचार और योगदानों से प्रवासी भारतीयों को परिचित कराया गया।
उन्होंने कहा कि भारत के पास आसन्न चक्रवात, ज्वारीय लहरों, सुनामी पता लगाने की क्षमता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने हुदहुद चक्रवात के बारे में कई दिनों पहले ही पता लगा लिया था, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकी।
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत का 80 देशों के साथ सहयोग है। ब्रिटेन के साथ भाभा छात्रवृत्ति, छात्रों के बीच वैज्ञानिक स्वभाव को प्रोत्साहित करने की एक पहल है।
उन्होंने अमेरिका के एक कॉलेज के साथ शिखर बैठक और जापान के साथ सहयोग पर भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने युवा प्रवासियों को बताया कि भारत ने विदेशों में रहने वाले वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए अध्येतावृत्ति भी गठित की है। इसका उद्देश्य वापस आकर अपने देश में काम करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है।
उन्होंने कहा, “हम भारतीय प्रवासियों का भारत का हिस्सा बनने के लिए स्वागत करते हैं।”
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने भारतीय अंतरिक्ष उपलब्धियों का वर्णन करते हुए कहा, हालांकि विश्व के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारत का छठा स्थान है लेकिन अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और लागत प्रभावी समाधानों को तलाशने के मामले में भारत पहले स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में वैश्विक उपग्रह भारत के अंतरिक्ष बाजार का दोहन करेंगे। उन्होंने कहा कि इसरो के लिए मौजूदा समय में 1,600 वैज्ञानिक काम कर रहे हैं और इसके फेसबुक पेज 900,000 लाइक्स के करीब है।